शिवसेना का केंद्र से सवाल- क्या बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियां खत्म करेगा राफेल?
शिवसेना का केंद्र से सवाल- क्या बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियां खत्म करेगा राफेल?

शिवसेना का केंद्र से सवाल- क्या बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियां खत्म करेगा राफेल?

देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मार्च के महीने में 68 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया था। ऐसे में देश भर में आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई थी। लिहाज़ा इस दौरान बेरोजगारी की दर भी बढ़ गई। ऐसे में अब शिवसेना ने लॉकडाउन के चलते बढ़ती बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सवाल उठाया है कि महज आशाओं और आश्वासनों पर लोग कब तक दिन गुजारेंगे? सामना में पार्टी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए लिखा है, ‘कोरोना संकट ने 10 करोड़ बेरोजगार खड़े कर दिए हैं। 40 करोड़ परिवारों के चूल्हे बुझ गए हैं। मध्यमवर्गीय समाज के नौकरीपेशा लोगों की नौकरियां चली गईं। उनकी समस्या का समाधान क्या है? राम मंदिर का भूमि पूजन होगा, भाजपा को राजस्थान चाहिए, ऐसा होगा। फ्रांस से राफेल विमान भी अंबाला में उतर गया। लेकिन जिन्होंने इस दौर में नौकरी गंवाई है, उनका घर कैसे चल रहा है, क्या शासक कभी ये बताएंगे?’ सामना के मुताबिक, लाखों नहीं करोड़ों लोग आज बेरोजगार होकर घर बैठे हैं। आसमान में कई सुराख हो गए हैं। कई धंधे बंद हो गए हैं। दुकानों में ताले लग गए हैं। उद्योग दिवालिया हो गए हैं। शिक्षा बंद हो गई है। नौकरी में छंटाई चल रही है। इसमें आगे लिखा है, ‘हनुमान चालीसा पढ़ने से कोरोना जाएगा, यह सच होगा तो हनुमान चालीसा के पाठ से रोजगार गवां चुके 10 करोड़ लोगों को जीने भर का ही काम मिल जाएगा क्या?’ सामना ने राफेल फाइटर जेट आने के दौरान देश में जश्न के माहौल पर भी सवाल उठाया है। इसमें लिखा है, ‘पांच राफेल फाइटर जेट विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर उतरे। यह अच्छा ही हुआ। लेकिन इससे पहले भी सुखोई से लेकर मिग तक कई फाइटर जेट विमान विदेशों से हम यहां लाए ही थे। उनका ऐसा, इतना उत्सव कभी नहीं मनाया गया। सुखोई मिलने से भी दुश्मनों पर हवाई हमले करके विजय हासिल की ही है। लेकिन लोगों को उत्सव, मेले की भांग पिलाकर मूल समस्याओं से दूर ले जाने की यह नीति चल रही है। बम और परमाणु शस्त्र वाहक राफेल विमान देश के सामने उपस्थित बेरोजगारी और आर्थिक चुनौतियों का विध्वंस करेगी क्या?’-newsindialive.in

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