Asia's largest wool market in Bikaner: 'Rajasthan's sheep produce three times more wool than other states'
Asia's largest wool market in Bikaner: 'Rajasthan's sheep produce three times more wool than other states'

एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी बीकानेर में : 'अन्य राज्यों के मुकाबले तीन गुना अधिक राजस्थान की भेड़ों से होता है ऊन का उत्पादन'

बीकानेर, 13 जनवरी (हि.स.)। एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी बीकानेर में है जहां 250- 300 ऊन धागे की फैक्ट्रियां है। राजस्थान की भेड़ों से अन्य राज्यों के मुकाबले तीन गुना अधिक ऊन का उत्पादन होता है। यहां भेड़ों की चोकला, मगरा और नाली नस्लों की ऊन विश्व के बेजोड़ गलीचे और नमदा बनाने के लिए श्रेष्ठ है। मालपुरा, जैसलमेरी और मारवाड़ी नस्लों की ऊन दरियां बनाने में उत्तम हैं। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा बुधवार को आयोजित ई-पशुपालक चौपाल में यह जानकारी दी गई। इस ई-पशुपालक चौपाल में प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एच.के.नरुला भी जुड़े। प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूडिय़ा ने बताया कि देश में भेड़ों की संख्या 742.61 लाख है तथा इसकी 10.64 प्रतिशत भेड़ें यानि 79.04 लाख भेड़ें राजस्थान में पाई जाती है। देश में भेड़ संख्या के हिसाब से राजस्थान चौथे स्थान पर है जबकि राजस्थान ऊन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान के पशुपालकों द्वारा भेड़ पालन परम्परागत तरीके से किया जा रहा है जिसे वैज्ञानिक ढंग से करने की जरूरत है ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त हो सके। केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, मरूस्थलीय क्षेत्र बीकानेर के प्रभागाध्यक्ष एवं प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एच.के. नरूला ने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से भेड़ पालन करने से एक भेड़ से प्रतिवर्ष 4.5 हजार रूपए की आमदनी ली जा सकती है मांस के लिए मालपुरा, जैसलमेरी, मारवाड़ी, नाली नस्लें उपयुक्त है। भेड़ों की मिंगणी की खाद उत्तम मानी जाती है। भेड़ पालन कम लागत में एक मुनाफे का व्यवसाय है। इसके लिए राष्ट्रीयकृत बैंको, नाबार्ड से कम ब्याज पर ऋण सुविधा उपलब्ध होती है। एक वयस्क भेड़ वर्ष में अमूमन दो बार प्रजनन करती है तथा इससे डेढ़ किलोग्राम ऊन प्राप्त की जा सकती है। ऊन कतरन की मशीनें उपलब्ध हैं। वैज्ञानिक भेड़ पालन के लिए उत्तम नस्ल का चयन और ग्याभिन तथा बच्चों को दो तीन माह तक संतुलित आहार दिया जाना चाहिए। भेड़ को साल भर में एक बार कृमिनाशक दवा पिलाएं। डॉ नरूला ने बताया कि समय पर टीकाकरण समुचित आहार तथा रोगों का समय पर उपचार करवाने से भेड़ों की मृत्युदर में कमी लाकर नुकसान से बचा जा सकता है। पशुपालक चौपाल के संयोजक राजुवास के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूडिय़ा ने बताया कि भेड़ पालन के इच्छुक व्यक्ति वैज्ञानिक भेड़ पालन के लिए केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर व बीकानेर तथा वेटरनरी विश्वविद्यालय के विभिन्न केन्द्रों से भी प्रशिक्षण की सुविधा प्राप्त कर सकते है। केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान द्वारा जरूरत के मुताबिक दो दिन से एक माह तक के प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाए जाते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों में गलीच, नमदा, हैण्डीक्राफ्ट, वैज्ञानिक भेड़ पालन जैसे विषय भी शामिल हैं। वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे बुधवार को ई.पशुपालक चौपाल से राज्य भर के किसान और पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in