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इनसानियत की ताक़त से, कोविड-19 और जलवायु चुनौती से निपटा जा सकता है

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने, मंगलवार को, वार्षिक ‘जनरल डिबेट’ की शुरुआत करते हुए, कोरोनावायरस महामारी के बहुत ही दुख भरे दिनों को याद किया है, जिस दौरान, “नगर व बस्तियाँ बन्द करने पड़े थे और किसी वैक्सीन का विकास व उसकी उपलब्धता एक सपना भर ही था”, और विश्व भर के लोग किस तरह, असाधारण रूप में एक साथ आए, “जो पहले कभी नहीं देखा गया”. कोविड-19 महामारी के कारण लागू ऐहतियाती उपायों के बीच, यूएन महासभा का 76वाँ सत्र, ‘हाइब्रिड’ रूप में हो रहा है, यानि कुछ विश्व नेता निजी रूप में, यूएन महासभागार में आकर अपनी बात रख रहे हैं, जबकि कुछ अन्य विश्व नेताओं ने अपने देशों से ही, वीडियो सन्देश रिकॉर्ड करके भेजे हैं. यूएन महासभा अध्यक्ष, मालदीव के अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि लगभग डेढ़ वर्ष की “ख़ामोशी और व्यग्रता” के बाद एक उम्मीद और साझा इनसानियत की भावना जागी, जिसने वैश्विक एकजुटता का रास्ता आसान किया, “आइये, अब उनमें आशा का संचार करें.” उन्होंने याद करते हुए कहा कि दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने निकट सहयोग व एकजुटता दिखाकर रिकॉर्ड समय में, कोविड-19 की अनेक वैक्सीन्स का विकास व उत्पादन किया, और “ये इनसानियत के इतिहास में, सबसे विशाल दायरे वाला टीकाकरण साबित हुआ है.” उन्होंने इस असाधारण सफलता को गौरवान्वित महसूस करने का एक मौक़ा क़रार दिया है. रातों की नीन्द यूएन महासभा के अध्यक्ष ने कहा कि अगले 12 महीनों के दौरान, दुनिया, “भंगुरता, संघर्ष, कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन” जैसी साझा चुनौतियों के समाधान चाहती है. “इन मुद्दों ने... हमार नागरिकों की रातों की नीन्द उड़ा रखी है, उनके कारण सामूहिक व्यग्रता को ईंधन मिलता है और इस चिन्ता को भी, कि चीज़ें लगातार और भी ज़्यादा ख़राब हो रही हैं.” अब्दुल्ला शाहिद ने कहा, “वो ग़लत नहीं सोच रहे हैं. हम ज़्यादा बेहतर और असरदार कार्रवाई कर सकते हैं.” मुद्दों की बात अब्दुल्ला शाहिद ने कोविड-19 महामारी का ज़िक्र करते हुए कहा कि दुनिया के पास अब वैक्सीन्स हैं, उन्हें बनाने का ज्ञान व कौशल भी है और वितरण क्षमता भी, मगर, “केवल राजनैतिक समर्थन की कमी है”. उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि नवीनीकृत ऊर्जा, अनुकूलन टैक्नॉलॉजी, और जीवाश्म ईंधन से दूर हटने के प्रयासों में असाधारण नवाचार के बावजूद, जलवायु में बदलाव लाने के लिये, “राजनैतिक समर्थन और सम्बन्धित वित्तीय संसाधनों” की कमी है.” यूएन महासभा अध्यक्ष ने, परमाणु निरस्त्रीकरण और शस्त्र अप्रसार की लगभग सार्वभौमिक इच्छा को रेखांकित किया और कहा, “लेकिन फिर भी हम ‘फ़िनिश लाइन’ पर भूल कर बैठते हैं, सन्धियाँ व समझौते मंज़ूरी के बिना ही छोड़ दिये जाते हैं”. और अन्त में, उन्होंने, मानवीय मोर्चे की तरफ़ रुख़ करते हुए ध्यान दिलाया कि दुनिया भर में खाद्य सामग्री और पानी की भरपूर उपलब्धता व आपूर्ति होने के बावजूद, अकाल और सूखा मुँह बाएँ खड़े नज़र आते है. अब्दुल्ला शाहिद ने कहा, “वर्ष के अन्त तक, करोड़ों लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत होगी.” --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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