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कोविड-19 के डेढ़ साल बाद भी, करोड़ों बच्चों के लिये स्कूल हैं बन्द

कोविड-19 महामारी की शुरुआत के 18 महीनों बाद भी, दुनिया के छह देशों में सात करोड़ से अधिक छात्रों के लिये स्कूल, अब भी लगभग पूरी तरह से बन्द हैं. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शिक्षा में आए इस व्यवधान से निपटने के लिये देशों की सरकारों से स्कूलों को जल्द से जल्द खोलने का आहवान किया है. बाल शिक्षा में आए इस व्यवधान के प्रति जागरूकता प्रयासों के तहत, यूएन एजेंसी गुरूवार को अपने सोशल मीडिया चैनलों को 18 घण्टों के लिये बन्द कर रही है, ताकि दुनिया को एक स्पष्ट सन्देश दिया जा सके: #ReopenSchools यानि व्यक्तिगत उपस्थिति के साथ पढ़ाई-लिखाई के लिये स्कूलों को जल्दी खोला जाए. The pandemic has taken so much from so many. For nearly 77M children, it has taken their classrooms for 18 months. We're closing down our channels for the next 18 hours to send one message to the world: #ReopenSchools. We’ll be back tomorrow. When will they be back in school? — UNICEF (@UNICEF) September 16, 2021 यूनीसेफ़ की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश, फ़िलिपीन्स और पनामा उन देशों में हैं, जहाँ स्कूलों को सबसे लम्बी अवधि के लिये बन्द रखा गया है. 11 देशों में, 13 करोड़ से अधिक छात्र, व्यक्तिगत रूप से अपनी तीन-चौथाई कक्षाओं में नहीं जा पाए हैं. विश्व के लगभग 27 प्रतिशत देशों में स्कूल, पूर्ण या आंशिक रूप से खुले हुए हैं. यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने कहा, “जैसे-जैसे विश्व के अनेक देशों में कक्षाएँ शुरू हो रही हैं, लाखों-करोड़ों बच्चे कक्षाओं में क़दम रखे बग़ैर, तीसरे अकादमिक वर्ष में पहुँच रहे हैं.” उन्होंने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि स्कूलों में ना रहने से बच्चों को जो नुक़सान हो रहा है, उसकी भरपाई शायद कभी नहीं हो पाएगी. यूनीसेफ़ ने पिछले 18 महीनों में पढ़ाई-लिखाई को हुए नुक़सान, सम्भावनाओं को साकार करने में हुई देरी, और अनिश्चित भविष्य के मद्देनज़र, देशों की सरकारों से स्कूलों को जल्द से जल्द खोलने की पुकार लगाई है. यूएन एजेंसी के मुताबिक स्कूलों के बन्द होने से बच्चों के लिये एक संकट खड़ा हो गया है. शिक्षा में पीछे छूट जाने के अलावा, बड़ी संख्या में बच्चे, स्कूलों में मिलने वाले आहार और नियमित टीकाकरण से वंचित हो गए हैं. उन्हें सामाजिक एकाकीपन और बढ़ती बेचैनी का अनुभव करना पड़ रहा है. साथ ही उनके साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की आशंका भी बढ़ी है. कुछ बच्चों को स्कूलों में तालाबन्दी की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी है, और वे बाल श्रम या बाल विवाह का शिकार हुए हैं. बड़ी संख्या में अभिभावकों के लिये, बच्चों की देखभाल व उनकी पढ़ाई के साथ-साथ रोज़गार की ज़िम्मेदारियों को पूरा कर पाना कठिन हुआ है. कुछ अभिभावकों का रोज़गार पूरी तरह ख़त्म हो गया है, जिससे परिवार निर्धनता का शिकार हुए हैं और एक गहरा आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. घर बैठकर पढ़ाई करने (Remote learning) की सहूलियत से करोड़ों बच्चों को सहारा मिला है, मगर टैक्नॉलॉजी की सुलभता और पाठ्यक्रम की गुणवत्ता, में समानता का अभाव है. यूनीसेफ़ ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि स्कूल, कोविड-19 के फैलाव की मुख्य वजह नहीं हैं और इसलिये व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई-लिखाई के लिये उन्हें खुला रखा जा सकता है. यूनीसेफ़ ने सरकारों, स्थानीय और स्कूली प्रशासनों से स्कूलों को जल्द से जल्द फिर से खोलने का आग्रह किया है. इस क्रम में, स्कूलों में वायरस के फैलाव की रोकथाम के लिये हरसम्भव उपाय सुनिश्चित किये जाने पर बल दिया गया है. जैसे कि: - छात्रों व कर्मचारियों के लिये मास्क पहनने की नीतियाँ - हाथ धोने की व्यवस्था और सैनेटाइज़र का प्रबन्ध - कक्षाओं को हवादार बनाने की पर्याप्त व्यवस्था - कक्षाओं में बच्चों की सीमित संख्या, अलग-अलग समूह के लिये अन्तराल के साथ स्कूल की शुरुआत, भोजन अवकाश और छुट्टी का अलग-अलग समय - अभिभावकों, छात्रों व अध्यापकों के साथ जानकारी साझा करने के लिये ढाँचे की स्थापना - कोविड-19 टीकाकरण के लिये शिक्षकों को प्राथमिकता --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News

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