अमृतसर (Amritsar), पंजाब राज्य का वह शहर जहाँ का ख्याल आते ही सबसे पहले याद आता है स्वर्ण मंदिर (Golden Temple), जिसे हरमंदिर साहिब (Harmandir Sahib) के नाम से भी जाना जाता है। भारत का यह सबसे बड़ा और प्रसिद्ध गुरुद्वारा, इस शहर का दिल है। इतिहास, संस्कृति और धर्म की पवित्र चादर ओढ़े इस शहर में आधुनिकता की झलक भी साफ़ देखी जा सकती है। सिख गुरुओं का ज्ञान और भूतकाल की कई कड़वी-मीठी यादें लिये ये शहर और यहाँ का हर एक वासी पर्यटकों का स्वागत करता नज़र आता है।
अमृतसर का अतीत, पौराणिक और ऐतिहासिक दोनों ही दृष्टियों से काफी समृद्ध रहा है जिसमें कुछ किस्से रामायण के हैं तो कुछ इतिहास की कहानियां बयां करते हैं। शहर में स्थित राम तीरथ स्थल को महर्षि वाल्मीकि का आश्रम माना जाता है, साथ ही यहीं वो स्थान है जहाँ श्री राम की पत्नी सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था। बात करें ऐतिहासिक महत्व की, तो शायद ही कोई ऐसा होगा जो आजादी के दौरान हुए जलियांवाला बाग़ में हुए दर्दनाक हादसे से अनजान हो, जहाँ निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार कर दी गई थी। इनके साथ दुर्गियाना मंदिर, गोबिंदगढ़ किला, रामबाग, वाघा बॉर्डर जैसे कई पर्यटन स्थल हैं इस शहर में देखने के लिए।
प्राचीन कथाएँ, ऐतिहासिक इमारतें, धार्मिक स्थल, चहलपहल से जीवंत बाज़ार, खान-पान, परम्पराएं, रोमांच से भरपूर त्यौहार-उत्सव और इस सबके ऊपर यहाँ के लोगों की जिंदादिली ने इस शहर को पहचान दिलाने में अहम् भूमिका निभाई है, इन सब खूबियों का संगम ही अमृतसर को एक योग्य पर्यटन स्थल बनाता है।
पुराना बाज़ार, ब्रह्मबूटा और गुरु बाज़ार, अमृतसर के मशहूर बाज़ार हैं, जहाँ से पर्यटक अच्छी क्वालिटी के लेडीज सूट, चूड़ियां, अचार, स्टील के कड़े, सूखे मेवे, शॉल, स्वेटर, मफलर, जूती और गहनें आदि खरीद सकते हैं लेकिन इन सबके अलावा यहाँ की असली पहचान, अमृतसरी बड़ियाँ और पापड़ खरीदना बिलकुल न भूलें।
अमृतसर में स्थित कुलचालैंड स्वादिष्ट कुल्चों के लिए बहुत प्रसिद्ध है
यहाँ के नजदीक भारत पाकिस्तान सीमा वाघा बॉर्डर पर रोजाना बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है, अमृतसर आए लोग इस अनोखे कार्यक्रम में शामिल होना नहीं भूलते
कुछ जगहों पर तस्वीरें खींचना मना है
भाषा संबंधी दिक्कत से बचने के लिए टूरिस्ट गाइड की सहायता ले सकते हैं
अमृतसर शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में की गई थी। माना जाता है कि गुरु अमरदास ने मुग़ल शासक अकबर से पवित्र कुंड बनाने के लिए ज़मीन खरीदी थी लेकिन उनकी मृत्यु के बाद सरोवर को बनाने का कार्य गुरु रामदास ने पूरा किया जिसे "चक रामदास" या "गुरु का चक" के नाम से जाना गया। इसी सरोवर से इस शहर का अमृतसर अर्थात "अमृत का सरोवर" रखा गया। स्वर्ण मंदिर इसी कुंड के मध्य में स्थित है।
राज्य - पंजाब
स्थानीय भाषाएँ - पंजाबी, हिन्दी, अंग्रेज़ी
स्थानीय परिवहन - टैक्सी, बस, साइकिल रिक्शा, तांगा और ऑटो रिक्शा।
पहनावा - यहाँ की अधिकतर महिलाएं सलवार कमीज, पटियाला सूट पहनती हैं और इसके साथ गोटेदार दुपट्टा लेती है। सिख धर्म में पगड़ी को शान समझा जाता है इसलिए यहाँ के अधिकतर पुरुषों को कुर्ता पायजामा के साथ पगड़ी पहने देखा जा सकता है। बदलते समय के साथ परिधानों में भी बदलाव आया और आज कई लोग जींस, टी- शर्ट, शर्ट आदि भी पहनते हैं।
खान-पान – पंजाबी व्यंजनों की सबसे बड़ी पहचान होती है इसमें दूध, घी, मक्खन आदि का भरपूर मात्रा में होना। यहाँ के मुंह में पानी लाने वाले स्वादिष्ट व्यंजन जैसे चिकन, छोले-भठूरे, कुलचे, नान, मक्के की रोटी, सरसों का साग, जलेबी, आलू के परांठे, आलू-पूरी, टिक्की और अमृतसरी लस्सी आदि बहुत प्रसिद्ध हैं, इनका स्वाद आप जीवन भर नहीं भूल पाएँगे।
हवाई मार्ग - By Flight
श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Sri Guru Ram Dass Jee International Airport) अमृतसर शहर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ के लिए देश के विभिन्न शहरों से फ्लाइट मिलती हैं। एयरपोर्ट से शहर तक आने के लिए ऑटो या टैक्सी किए जा सकते हैं।
रेल मार्ग - By Train
अमृतसर जंक्शन (Amritsar Junction) यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन है यहाँ के लिए देश के विभिन्न राज्यों से सीधी ट्रेन मिलती हैं। शहर तक पहुंचने के लिए पर्यटक रिक्शा, ऑटो या टैक्सी कर सकते हैं।
सड़क मार्ग - By Road
अमृतसर सड़क मार्ग द्वारा उत्तर भारत के बड़े बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है जो यहाँ की बस यात्रा को सुविधाजनक बनाते हैं। यहाँ पहुंचने के लिए पर्यटक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 का प्रयोग कर सकते हैं।
अमृतसर की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय नवम्बर से मार्च के बीच का है। इस दौरान यहाँ का मौसम बेहद सुहाना होता है जो घूमने के लिए उपयुक्त माना जाता है।