हाइब्रिड धान फसल में कोरोना जैसा बीएलबी बीमारी का कहर
हाइब्रिड धान फसल में कोरोना जैसा बीएलबी बीमारी का कहर

हाइब्रिड धान फसल में कोरोना जैसा बीएलबी बीमारी का कहर

धमतरी, 27 सितंबर ( हि. स.)। जिस तरह लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहे हैं, ठीक वैसे ही हाइब्रिड धान फसल के पौधे बीएलबी ,बैक्टीरिया लिक ब्लाइट, बीमारी से जूझ रहे हैं। क्योंकि इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है,सिर्फ रोकथाम है। कई बार कीटनाशक छिड़काव के बाद भी बीमारी नहीं रुकने से किसान काफी चिंतित है। उन्हें धान फसल के बर्बाद होने की आशंका है। जिले के अधिकांश किसान धान के अधिक उत्पादन लेने के लिए खरीफ सीजन में अपने खेतों पर हाइब्रिड धान फसल लगाए हैं, जिस पर इन दिनों बीएलबी बीमारी लगा हुआ है, जिससे किसान परेशान है। हाइब्रिड धान फसल लेने वाले किसान पुनारद साहू , हीरा सिंह साहू, मोहनलाल और गिरधर कुमार आदि ने बताया कि हाइब्रिड धान फसल में पत्तीमोड़क जैसा नया बीमारी लगा हुआ है, जिससे पूरा धान के पौधे लाल दिखाई देने लगा है। वही फसल सूखने लगे हैं। इस बीमारी का अब तक किसी ने कोई उपचार नहीं बताया है। कई बार कीटनाशक छिड़काव करने के बाद भी धान फसल को राहत नहीं है। इससे हाइब्रिड धान फसल की खेती करने वाले ज्यादातर किसान परेशान है। इस बीमारी के लगने के बाद उन्हें उत्पादन कम होने का भी आशंका है। किसानों का कहना है कि जिस तरह लोगों में कोरोना संक्रमण फैला है,ठीक उसी तरह हाइब्रिड धान के पौधों में यह बीमारी लगा हुआ है, जो एक खेत से दूसरे खेत को प्रभावित कर रहा है। कृषि वैज्ञानिक डॉ एसएस चंद्रवंशी का कहना है कि हाइब्रिड धान में लगे यह बीमारी नया बीमारी नहीं है। इसका नाम बीएलबी है, इसका मतलब बैक्टीरिया लिक ब्लाइट कहते हैं। इसका कोई उपचार नहीं है। धान के पौधों में पोटाश डालने के बाद रोकथाम जरूर हो जाता है। इस बीमारी के लगने से धान उत्पादन थोड़ा प्रभावित जरूर होता है लेकिन मरते नहीं है। यह पर्यावरण में आए परिवर्तन जैसे भारी उमस, गर्मी और अन्य तरह के वातावरण निर्मित होने की वजह से हुआ है। खासकर यह बीमारी हाइब्रिड धान फसल में होता है । क्योंकि इस धान फसल के पौधों में प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होता है। कीड़े और विभिन्न प्रकार के बीमारियों को यह सहन नहीं कर पाता। यही वजह है कि हाइब्रिड किस्म के धान जैसे पायोनियर, 8433, 555 आदि प्रकार के धान में इस तरह के बीमारी लगते हैं। शासन के काफी पहले के धान की किस्म 1010, स्वर्णा, महेश्वरी, राजेश्वरी आदि धान पुराना है। इसमें यह बीमारी नहीं लगता। उन्होंने किसानों से अपील की है कि हाइब्रिड धान के साथ-साथ अन्य किस्म के धान भी लगाएं ताकि उनके धान फसल सुरक्षित रहे। अन्य प्रकार के धान के पौधों में केमिकल माइट की बीमारी है, जिसे कंट्रोल कर लिया गया है। इसमें धान के पौधे बदरा व लालपन होते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन-hindusthansamachar.in

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