हम 84 जैसे दूसरे दंगें की इजाजत नहीं दे सकते : दिल्ली हाई कोर्ट
हम 84 जैसे दूसरे दंगें की इजाजत नहीं दे सकते : दिल्ली हाई कोर्ट

हम 84 जैसे दूसरे दंगें की इजाजत नहीं दे सकते : दिल्ली हाई कोर्ट

हम 84 जैसे दूसरे दंगें की इजाजत नहीं दे सकते : दिल्ली हाई कोर्ट नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि 1984 की तरह दूसरा दंगा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती। जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि वर्तमान स्थितियों में हमें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार को विश्वास बहाली के कदम उठाने चाहिए। लोगों का यह डर खत्म होना चाहिए कि वे घर नहीं लौट सकते। सरकारी मशीनरी को हर पीड़ित से सम्पर्क करना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी। हाई कोर्ट ने कहा कि दंगों में विस्थापित लोगों के लिए शरण की व्यवस्था होनी चाहिए। इन शेल्टरों में पानी, कम्बल, सेनिटेशन, बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए, लेकिन इसके बिना लोग अभी शेल्टर में रह रहे है। उन लोगों को हटाने की जरूरत नहीं है। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के दफ्तर में 24 घन्टे हेल्प डेस्क की व्यवस्था होनी चाहिए। कोर्ट ने वकील जुबेदा बेगम को एमिक्स क्युरी नियुक्त किया। कोई भी पीड़ित सहायता के लिए उनसे संपर्क कर सकता है। वो सहायता के लिए 4-5 लोगों को अपने साथ रख सकती हैं। हाई कोर्ट ने सभी अस्पतालों और दिल्ली सर्विसेज ऑथोरिटी के सभी हेल्पलाइन नंबर को सभी मीडिया में उचित पब्लिसिटी देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस ड्यूटी निभाने के लिए आदेश का इतंज़ार कर रही थी। इस मामले पर आज तीन बार सुनवाई हुई। सुबह हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए साढ़े 12 बजे पेश होने का आदेश दिया। साढ़े बारह बजे सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो दिल्ली के उप-राज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। तब दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि बिना दिल्ली के मंत्रिपरिषद की सलाह के उप-राज्यपाल किसी को पेश होने के लिए नियुक्त नहीं कर सकते हैं। तुषार मेहता ने कल रात हाई कोर्ट के आदेश के बारे में कहा कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की।घायलों को तत्काल निकाला गया। जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि कोर्ट यह तय करेगा कि सॉलिसिटर जनरल दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होंगे कि नहीं। राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार को इसमें पक्षकार नहीं बनाया गया है। तब तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि वो गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाए। तुषार मेहता ने इस मामले पर कल सुनवाई करने की मांग की। मेहता ने कहा कि कौन वकील होगा इस पर बहस छोटी बात है। मेहता ने जवाब देने के लिए समय देने की मांग की। तब जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले पर सुनवाई जरुरी है। जस्टिस मुरलीधर ने तुषार मेहता से कहा कि पहले आप अपने को साबित करें कि आप लॉ अफसर हैं। कोर्ट ने कहा कि स्थिति बहुत खराब है, इस पर जल्द सुनवाई करने की जरूरत है। तब तुषार मेहता ने कहा कि मुझे निर्देश दे लेने दीजिए और कल सुनवाई कीजिए। मेहता ने कहा कि हमें तथ्यों की जानकारी नहीं है। तब जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि इसीलिए हम फिर कह रहे हैं कि पहले आप अपने को लॉ अफसर साबित कीजिए। कई वीडियो हैं जिसे हजारों लोगों ने देखा। क्या आपको नहीं लगता कि इस पर जल्द सुनवाई की जरूरत है। तब मेहता ने कहा कि हमने वीडियो नहीं देखा है। तब जस्टिस मुरलीधर ने पुलिस अधिकारी से पूछा कि क्या आपने वीडियो देखा जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। तब पुलिस ने कहा कि उसने दो वीडियो देखा है, कपिल मिश्रा का वीडियो नहीं देखा है। तब जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि आपके दफ्तर में कई टीवी लगे होंगे उसमें भी नहीं देखा, ये दिल्ली पुलिस की चिंताजनक स्थिति है। उसके बाद जस्टिस मुरलीधर ने कपिल मिश्रा का वीडियो कोर्ट में चलाने का आदेश दिया और कहा कि आप सब देखिए। तब तुषार मेहता ने कहा कि हम बहस करने के पहले टीवी नहीं देखते हैं। ये जजों का विशेषाधिकार है। वीडियो देखने के बाद कोर्ट में मौजूद पुलिस अधिकारी ने उस पुलिसकर्मी की पहचान की जो कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण के समय बगल में खड़ा था। उसके बाद जस्टिस मुरलीधर ने कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण की ट्रांसक्रिप्ट तुषार मेहता को सौंपते हुए कहा कि आप इस पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर से बात करें। याचिका हर्ष मांदर ने दायर की है। याचिका में मृतकों के परिवार वालों के लिए उचित मुआवजे और मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की गई है। उन राजनेताओं की गिरफ्तारी की मांग की गई है जो कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देकर लोगों को हिंसा के लिए भड़का रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार दिल्ली में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती करे। याचिका में मारे गए और घायल लोगों के लिए मुआवजे,सीसीटीवी फुटेज के संरक्षण, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, हिरासत में लिए गए लोगों को कानूनी सहायता आदि की भी मांग है। याचिका में कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अन्य आरोपितों के खिलाफ करवाई की मांग की गई है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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