स्वयंसेवक बने तो आजीवन स्वयंसेवक का व्रत धारण करें : मोहन भागवत

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स्वयंसेवक बने तो आजीवन स्वयंसेवक का व्रत धारण करें : मोहन भागवत

स्वयंसेवक बनेंं तो आजीवन स्वयंसेवक का व्रत धारण करें : मोहन भागवत रांची, 22 फरवरी ( हि.स.)। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने पांच दिनों के प्रवास के चौथे दिन शनिवार को रांची में स्वंयसेवकों के साथ आंतरिक बैठक की। बंद कमरे में हुई इस बैठक में देश और राज्य के ज्वलंत समस्याओं पर मंथन हुआ। बैठक के दौरान सरसंघचालक ने कहा कि कोई स्वंयसेवक बने तो वह पुन: वापस न लौटे। वह आजीवन स्वयंसेवक का व्रत धारण करें, ऐसा स्वभाव बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा ही स्वयंसेवक बनाने पर बल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन्हें तथाकथित दलित कहा जाता है और वे हमसे दूर है, तो हम किस समाज का संगठन कर रहे हैं। मोहन भागवत उत्तर बिहार, दक्षिण बिहार और झारखंड के स्वयंसेवकों के साथ बैठक में बोल रहे थे। मोहन भागवत ने शाखाओं पर समाज के लोगों को आमंत्रित करने एवं समाज के कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर भाग लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि समाज के लोगों की संघ से काफी अपेक्षाएं हैं। लोग चाहते हैं कि सभी काम संघ ही करे। अब उनकी अपेक्षाओं पर खरा होने के लिए प्रयास करना होगा। वैसे स्वयंसेवक कर भी रहे हैं। मोहन भागवत झारखंड दौरे के पांचवें दिन रविवार को देवघर जायेंगे। इसके बाद वहां से वे पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के लिए रवाना होंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना-hindusthansamachar.in

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