सुनिये! इनकी चिंता भी कीजिये, घर का चूल्हा इन्हीं से है!

सुनिये! इनकी चिंता भी कीजिये, घर का चूल्हा इन्हीं से है!

सुनिये! इनकी चिंता भी कीजिये, घर का चूल्हा इन्हीं से है! उदयपुर, 23 मार्च (हि.स.)। रविवार को जनता कफ्र्यू के दौरान शाम 5 बजे देश भर की जनता ने कोरोना के संक्रमण के खतरे के बीच सेवाएं दे रहे हर वर्ग के लिए ताली, थाली, शंखनाद कर आभार प्रदर्शित किया, लेकिन कुछ व्यावहारिक रूप से कार्य करने की जरूरत स्वयं के स्तर पर भी महसूस की जानी चाहिए। हमें उन लोगों की भी चिंता करनी होगी जिनका हमारे घर से अटूट रिश्ता है। जैसे सुबह अखबार लाने वाले, दूध लाने वाले और महीने में एक बार गैस की टंकी लाने वाले। सोमवार सुबह कई अखबार वाले, कई दूध वाले तो मुंह पर रुमाल-गमछा आदि बांधे नजर आए, लेकिन कई के पास नहीं था। उदयपुर शहर में गैस सिलेंडर घर-घर पहुंचाने वाले कई हॉकर्स के पास सेनिटाइजर तो दूर, रुमाल-मास्क भी कम के पास ही नजर आए। नगर निगम परिसर के बाहर टाउन हॉल लिंक रोड पर इक्का-दुक्का ने मास्क लगा रखे थे, गले में गमछे भी थे, लेकिन कुछ के पास मास्क नजर नहीं आए। कुछ ने मुंह पर रुमाल-गमछा-मास्क बांध रखा था, तो कुछ ने नहीं। इस विकट परिस्थिति में भी गैस सिलेंडर घर-घर पहुंचाने वाले इन हॉकर्स की सेवा को भी सलाम है। प्रशासन को भी गैस सिलेंडर एजेंसी प्रबंधकों को पाबंद किया जाना चाहिए कि वे हॉकर्स की भी पूरी चिंता करें। यदि अपने घर में अतिरिक्त मास्क और सेनिटाइजर हैं तो घर पर सिलेंडर लाने वाले को देकर उससे आग्रह किया जा सकता है कि वह अपना भी ध्यान रखें। आखिर, हमारे घर का चूल्हा तो इन्हीं से है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिलेंडर भी कम से कम पानी से धोकर ही रसोई में ले जाएं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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