श्रद्धा और उल्लास के साथ हुई भगवान गणेश की स्थापना
श्रद्धा और उल्लास के साथ हुई भगवान गणेश की स्थापना

श्रद्धा और उल्लास के साथ हुई भगवान गणेश की स्थापना

धमतरी, 22 अगस्त ( हि. स.)। गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना शुभ मुहूर्त में की गई। शहर के अलग- अलग गणेश पंडालों के अलावा घरों-घर लंबोदर महाराज की पूरे विधि- विधान से स्थापना हुई। अंतिम दिन भी मूर्ति ले जाने का सिलसिला चलता रहा। इस साल कोरोना के चलते हर त्योहार की तरह गणेश चतुर्थी का पर्व भी सादगी से मनाया जा रहा है। कुम्हार पारा में दोपहर से शाम तक समिति के सदस्यों सहित अन्य बच्चे व उनके पालक गणेश की मूर्ति खरीदने पहुंचे। शुभ मूहुर्त में देवों में सर्व प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की गई। शनिवार को कुम्हार पारा से शहर के अलावा आसपास के गांव भटगांव, सोरम, बेलतरा, श्यामतराई, मुजगहन, अर्जुनी, कलारतराई सहित अन्य गांवों से बच्चे व युवा मूर्तियां खरीदने पहुंचते रहे। पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि भगवान गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेश हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें प्रथमपूज्य भी कहते हैं। सच्चे मन से प्रार्थना करने से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन-hindusthansamachar.in

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