लाकडाउन का बड़े व्यवसायी कर रहे समर्थन, मजदूर व छोटे व्यवसायियों की बढ़ी परेशानी
धमतरी, 23 सितंबर ( हि. स.)। कोरोना से बचाव व सुरक्षा के लिए लागू कंटेनमेंट ने मजदूर व छोटे व्यवसायियों की परेशानी बढ़ा दी है। कंटेनमेंट के दो दिनों में ही वे आर्थिक तंगी महसूस करने लगे हैं। नगरीय निकाय बंद होने से ग्रामीण अंचल के सब्जी उत्पादक से लेकर मजदूरों का कामकाज ठप है। कंटेनमेंट ने हर वर्ग की परेशानी बढ़ा दी है। नगर निगम धमतरी के व्यवसायियों ने कोरोना से बचाव व सुरक्षा के लिए धमतरी में कंटेनमेंट लागू करने की मांग की थी, लेकिन जिला प्रशासन ने सभी नगरीय निकायों में कंटेनमेंट घोषित किया है, इसका खामियाजा नगर पंचायत के मजदूर, छोटे व्यवसायी व ग्रामीण अंचल के लोग भुगत रहे हैं। कंटेनमेंट लागू हुए सिर्फ दो दिन हुए है और लोग आर्थिक तंगी से जूझने लगे हैं। गांवों में भी खेती-किसानी का कार्यपूरी तरह बंद है। छोटे व्यवसायी जो ठेला, गुमटी और पसरा लगाकर अपना व्यवसाय करते हैं, इनके भी धंधा चौपट हो गया। इन्हें कंटेनमेंट के बाद फिर से जमा पूंजी खर्च करनी पड़ेगी। लॉकडाउन खत्म होने के लंबे समय बाद उनकी स्थिति में सुधार आने लगा था कि अब कंटेनमेंट लागू हो गया, जिससे उन पर पहाड़ टूट पड़ा है। रोज कमाने व खाने वाले मजदूरों की स्थिति दयनीय है। ग्राम कुहकुहा निवासी सब्जी उत्पादक डीगेश निर्मलकर ने बताया कि वे साढ़े तीन एकड़ में सब्जी खेती करते हैं। बैंगन में फल लगना शुरू हो गया है, ऐसे समय में कंटेनमेंट लागू होने से अब उसे बेचना चुनौती बन गया है। सब्जी मंडी बंद होने से अधिक मात्रा में उत्पादित होने के कारण खराब होने लगी है। भोजराज चंद्राकर ने बताया कि कंटेनमेंट तिथि की घोषणा के दो दिन पूर्व जिले में जमकर कालाबाजारी मुनाफाखोरी शुरू हो गई। 25 रूपये प्रति किलो आलू की कीमत एक ही दिन में 45 रूपये कर दिया। प्याज 30 रूपये से 45 रूपये हो गया है। गुड़ाखू पैकेट 180 रूपये से 400 रुपए हो गया है। कंटेनमेंट में गरीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। ठेला व्यवसायी संतोष सिन्हा ने कहा कि एक बार धंधा बंद हो जाने से फिर से चालू करने में काफी दिक्कत जाती है। सेलून व्यवसायी सोहन सेन ने अचानक लगाए गए लाकडाउन को अव्यवहारिक बताया। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन-hindusthansamachar.in