लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों की पढायी,डिस्टेंस लर्निंग का नायाब तरीका
लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों की पढायी,डिस्टेंस लर्निंग का नायाब तरीका

लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों की पढायी,डिस्टेंस लर्निंग का नायाब तरीका

रांची, 27 जून ( हि.स.)। झारखंड मेंं कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जहां आजकल सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान बंद हैं । वहीँ बच्चों को कुछ स्कूल मोबाइल फोन से ऑनलाइन क्लासेज़ करा रहे हैं । जबकि दुमका सदर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में डिस्टेंस लर्निंग का नायाब तरीका खोजा गया है। यहां लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढाया जा रहा है। कोरोना काल में आजकल तकरीबन हर जगह ऑनलाइन क्लासेज़ के ज़रिए शैक्षणिक गतिविधियाँ चल रहीं हैं जिसके लिए मोबाइल या स्मार्ट फोन होना लाजिमी शर्त है । जहाँ या जिनके पास ये साधन नहीं हैं उन्हें इसमें दिक्कत आती है दुमका सदर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय ने इसका भी उपाय खोज निकाला है। और यहाँ आजकल लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढाया जा रहा है। दुमका के इस स्कूल में ३४६ बच्चे नामांकित हैं। इनमें २०४ बच्चों के पास या तो स्मार्ट फोन नहीं हैं या वे इसे चलाना नहीं जानते। ऐसे हालात में विद्यालय के शिक्षकों ने बच्चों को सोशल डिस्टैंसिग का पालन कराते हुए शिक्षा देने का नायाब तरीका निकाला और शुरू हुई लाउडस्पीकर के माध्यम से पढाई। इसमें तरीका यह है की शिक्षक अपने मोबाइल को लाउडस्पीकर सिस्टम से कनेक्ट कर बच्चों को कंटेंट सुनाते हैं और बरामदे में बैठे बच्चे उसे ठीक वैसे ही अटेंड करते हैं जैसा ऑनलाइन क्लासेज़ में होता है। स्कूल के इस अनूठे प्रयोग की हर ओर प्रशंसा हो रही है । दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने भी इस प्रयास की सराहना की है। कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए सामाजिक दूरी अनिवार्य शर्त है लेकिन बच्चों के मामले में इसका अनुपालन लगभग नामुमकिन है। दुमका सदर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में ध्वनि विस्तारक यंत्र , जिसे अंग्रेजी में लाउडस्पीकर कहा जाता है उससे डिस्टेंस लर्निंग का यह नायाब तरीका निकाल कर न केवल संसाधन विहीन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने में मदद की है बल्कि शोर शराबों के लिए बदनाम लाउडस्पीकर का इससे अब कुछ सदुपयोग भी दिख रहा है। हिंदुस्थान समाचार /विनय/सबा एकबाल-hindusthansamachar.in

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