भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय था आपातकाल : प्रेमचंद
भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय था आपातकाल : प्रेमचंद

भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय था आपातकाल : प्रेमचंद

ऋषिकेश, 25 जून (हि.स.)। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि 1975 में आपातकाल लगाया जाना भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सर्वाधिक काला अध्याय है। गुरुवार को कैंप कार्यालय ऋषिकेश में आयोजित एक गोष्ठी में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन सरकार के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए और नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया था। अग्रवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके बड़े भाई ताराचंद अग्रवाल ने भी आपातकाल के दौरान यातना सहकर आपातकाल का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान की नौजवान पीढ़ी, आज के आजादी के माहौल में खुलकर अपने विचार रखती है। आज की पीढ़ी कल्पना भी नहीं कर सकती, लेकिन जिन लोगों ने 45 साल पहले आपातकाल का दौर देखा है, वो जानते हैं कि तब क्या हालात थे। इस अवसर पर प्रधान संगठन के अध्यक्ष सोबन सिंह कैंतूरा ने कहा कि आपातकाल वो दौर था, जब सत्ता ने आम आदमी की आवाज को कुचलने की सबसे निरंकुश कोशिश की। इस मौक पर चक जोगीवाला के प्रधान भगवान सिंह महर, साहब नगर के क्षेत्र पंचायत सदस्य अमर सिंह खत्री, सरदार बलविंदर सिंह, संगीता खत्री, शैलेंद्र रांगड , संतोषी शर्मा आदि लोग उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम-hindusthansamachar.in

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