प्रवीर के व्यक्तित्व को परिभाषित करने की क्षमता चौकसे में नहीं है : कमलचंद्र भंजदेव

प्रवीर के व्यक्तित्व को परिभाषित करने की क्षमता चौकसे में नहीं है : कमलचंद्र भंजदेव
प्रवीर के व्यक्तित्व को परिभाषित करने की क्षमता चौकसे में नहीं है : कमलचंद्र भंजदेव

जगदलपुर, 13 नवम्बर (हि.स.)। बस्तर सहित पूरे प्रदेश के जनमानस के हृदय में अत्यंत सम्मानजनक स्थान रखने वाले अंतिम बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव के व्यक्तित्व को लेकर एक आपत्ति जनक लेख लिखने वाले फिल्म समालोचक व समीक्षक जयप्रकाश चौकसे को आड़े हाथों लेते हुए बस्तर राजपरिवार के कमलचंद्र भंजदेव ने नाराजगी जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि पांच सितारा होटल के सर्व सुविधायुक्त वातानुकूलित कमरों में बैठकर सनसनीखेज लेख लिखना उतना ही सरल है, जितना कठिन अपनी संस्कृति को बचाने हेतु प्रयास करना है, परंपरा को जीवित रखने हेतु संघर्ष करना है, और अपने लोगों के अधिकार हेतु लड़कर सर्वस्व समर्पित करना है। उन्होंने जारी विज्ञप्ति में कहा कि श्री चौकसे एक वरिष्ठ व प्रतिष्ठित लेखक हैं, लेकिन यदा-कदा एक विचारधारा विशेष के प्रति उनका झुकाव समय-समय पर स्पष्ट हो ही जाता है। इस बार भी वे तुलना करने में बड़ी चूक कर बैठे। श्रद्धेय महाराज प्रवीरचंद्र भंजदेव के व्यक्तित्व को परिभाषित करने की क्षमता न तो उनकी कलम में है और न ही उनकी बुद्धि में है। प्रवीर पर आपत्ति जनक लेख लिखने वाले मांफी मांगे। कमलचंद्र भंजदेव ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि जनता का राजा व आदिवासी गॉड (भगवान) जैसी अनेक उपमाएं महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव को सामंतवादी होने की वजह से नहीं बल्कि जनवादी होने की वजह से मिली थी। बस्तर रियासत का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है, जिससे आम जनता का राजपरिवार के प्रति श्रद्धा व जुड़ाव को प्रत्येक पर्व व तीज-त्यौहारों के माध्यम से समानता, समरसता, एकजुटता व आस्था के दुर्लभ समागम के रूप में देखा जा सकता है। सदियों से आयोजित हो रहे दुनिया के सबसे लम्बे त्यौहार 75 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का पूरा आयोजन सामाजिक संतुलन व समभाव का जीवंत पर्व है। सबसे महत्वपूर्ण बात लोकतंत्र के प्रभावशील होने की है, जिसका सबसे जीता-जागता उदाहरण बस्तर दशहरा अंतर्गत आयोजित होने वाला मुरिया दरबार है, जहां सिर्फ और सिर्फ जनता को ही बोलने का अधिकार होता है। कमलचंद्र भंजदेव ने आगे कहा कि यह अत्यंत निराशाजनक व आपत्ति जनक है कि ऐसे समृद्ध इतिहास व गौरवशाली परंपरा के संवाहक व आदिवासियों के हित में समर्पित करने वाले महात्मा के संदर्भ में ऐसी भ्रामक बातें लिखी गयी है। उससे भी ज्यादा दुख का विषय यह है कि एक प्रतिष्ठित अखबार ने इस तथ्यहीन बात को स्थान दिया है। मैं जयप्रकाश चौकसे को सादर आमंत्रित करता हूं कि वे बस्तर आएं व यहां के कण-कण को अगर महसूस कर सकें तो उन्हें देवतुल्य श्रद्धेय महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव के व्यक्तित्व व कृतित्व के सहज ही दर्शन हो जाएंगे। प्रवीर सेना ने भी ऐसे आलेख में अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व महाराजा प्रवीरचंद की तुलना को बेहद आपत्ति जनक बताया है। प्रवीर सेना के हजारों कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना गहरा रोष प्रकट करते हुए जयप्रकाश चौकसे से अपने विवादित लेख हेतु माफी मांगने की मांग की है। हिन्दुस्थान समाचार/राकेश पांडे-hindusthansamachar.in

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