नोटिस से आक्रोशित गंगानगर के ग्रामीणों ने किया एसईसीएल का पुतला दहन, 22 को पदयात्रा से देंगे सामूहिक जवाब, माकपा ने पूछा : पुनर्वास था या मजाक?
नोटिस से आक्रोशित गंगानगर के ग्रामीणों ने किया एसईसीएल का पुतला दहन, 22 को पदयात्रा से देंगे सामूहिक जवाब, माकपा ने पूछा : पुनर्वास था या मजाक?

नोटिस से आक्रोशित गंगानगर के ग्रामीणों ने किया एसईसीएल का पुतला दहन, 22 को पदयात्रा से देंगे सामूहिक जवाब, माकपा ने पूछा : पुनर्वास था या मजाक?

कोरबा 19 सितम्बर (हि स)। अवैध कब्जा हटाने की नोटिस से आहत कोरबा निगम क्षेत्र के गंगानगर ग्राम के सैकड़ों ग्रामीणों ने आज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, छत्तीसगढ़ किसान सभा और जनवादी महिला समिति के नेतृत्व में एसईसीएल का पुतला दहन किया और 22 सितम्बर को पदयात्रा करके एसईसीएल गेवरा मुख्यालय पर जाकर नोटिस का सामूहिक जवाब देने का एलान किया है। इन ग्रामीणों के संघर्ष को अपना समर्थन देने के लिए पुतला दहन कार्यक्रम में आसपास के गांवों के प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उल्लेखनीय है कि गंगानगर एक पुनर्वास ग्राम है, जिसे वर्ष 1980 में एसईसीएल द्वारा ही बसाया गया था। तब घाटमुड़ा की हजारों एकड़ जमीन कोयला खदान के लिए अधिग्रहित की गई थी और यहां के विस्थापित 75 परिवारों को 25 एकड़ का क्षेत्र बसाहट के लिए दिया गया था। उस समय ग्रामीणों ने आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा कर लिया था और एसईसीएल ने इसमें कोई दखल भी नहीं दिया था। बंटवारे के बाद सब अपने कच्चे-पक्के मकान बनाकर बची हुई जमीन पर अपने भरण-पोषण के लिए बाड़ियां बनाकर सब्जी उगा रहे है। अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत पुनर्वास के बाद इस गांव के विकास के लिए जो बुनियादी मानवीय सुविधाएं जैसे अस्पताल, बिजली, पानी, स्कूल, मनोरंजन गृह, श्मशान घाट, गौठान आदि इन पुनर्वासित ग्रामीणों को देना था, वह भी एसईसीएल ने पूरी नहीं की है। चालीस सालों बाद परिवारों की संख्या बढ़कर 200 से ज्यादा हो गई है। लेकिन अब एसईसीएल 25 एकड़ के इस प्लाट पर बसे परिवारों की सब्जी बाड़ियों,बाउंड्री को अवैध कब्जा बता रहा है तथा उसे हटाने की नोटिस दे चुका है। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल यहां दूसरे गांव के विस्थापितों को जबरन बसाने की कोशिश कर रहा है, जबकि उसकी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे विस्थापितों को मानवीय सुविधाओं के साथ और कहीं बसाने का प्रबंध किया जाए।अवैध कब्जे की नोटिस से आक्रोशित ग्रामीणों ने आज माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर और सुरती कुलदीप की अगुआई में एसईसीएल का पुतला दहन किया। उनका आरोप है कि पहले भी एसईसीएल ग्रामीणों के आधिपत्य वाली भूमि पर बुलडोजर चला चुका है। आंदोलन के बाद मुआवजा देने पर बनी सहमति पर अभी तक अमल नहीं किया गया है। अब बेदखली की इस नोटिस का जवाब याचना नहीं, संघर्ष होगा। पार्षद राजकुमारी ने ही पुतले को आग लगाई। पुतला दहन कार्यक्रम के बाद हुई आमसभा को महिला नेत्री धनबाई कुलदीप, माकपा के दोनों पार्षदों ने और किसान सभा के नेता नंदलाल कंवर, जवाहर सिंह कंवर, श्याम यादव और तेरस बाई ने संबोधित किया।माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कब्जा हटाने की नोटिस को ही अवैध करार देते हुए कहा है कि यह नोटिस पुनर्वास के नाम पर विस्थापित ग्रामीणों के साथ क्रूर मजाक और धोखा है। उन्होंने कहा कि विस्थापित घाटमुड़ा गांव के लोगों को सामूहिक रूप से 25 एकड़ रकबा देने के बाद इस जमीन पर एसईसीएल का कोई हक नहीं बनता कि किसानों को अवैध कब्जा हटाने की नोटिस दें। उन्होंने मांग की है कि जिस ग्रामीण परिवार की जितनी जमीन पर कब्जा है, उसे उतनी भूमि का अधिकार-पत्र दिया जाए।ग्रामीणों ने तय किया है कि कोरोना संकट के बावजूद उनके जीवन यापन पर आए इस संकट के खिलाफ पूरे गांव के लोग गंगानगर से एसईसीएल गेवरा कार्यालय तक पदयात्रा करेंगे और उन सबको मिले व्यक्तिगत नोटिस का सामूहिक जवाब देंगे। यदि एसईसीएल का सकारात्मक जवाब नहीं मिलता, तो अपनी जमीन की रक्षा के लिए आंदोलन के अगले चरण की तैयारी की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी-hindusthansamachar.in

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