जेएनयू देशद्रोह मामले में दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका खारिज
जेएनयू देशद्रोह मामले में दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका खारिज

जेएनयू देशद्रोह मामले में दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका खारिज

जेएनयू देशद्रोह मामले में दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका खारिज नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने के मामले में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद से जुड़े देशद्रोह के मामले में दिल्ली सरकार द्वारा अभियोजन की अनुमति देने और ऐसे मामलों में दिशानिर्देश बनाने के लिए दायर याचिका खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस एस.ए. बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करते हैं। कोर्ट केस के आधार पर फैसला करती है। इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से अनुमति देने पर अब तक कोई फैसला नहीं किया गया है, जिसकी वजह से ट्रायल कोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट पर अभी तक संज्ञान नहीं लिया है। पिछले छह फरवरी 2019 को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि अभी चार्जशीट के लिए ज़रूरी मंजूरी दिल्ली सरकार से नहीं मिली है। तब कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट दायर करने से पहले अनुमति ले लेनी चाहिए थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि पूछा था कि बिना सरकार की अनुमति के कैसे चार्जशीट दाखिल कर दी गई। इससे पहले 14 जनवरी,2019 को दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था। करीब 1200 पेज की इस चार्जशीट में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य को आरोपित बनाया गया है। चार्जशीट में सात अन्य कश्मीरी छात्रों के भी नाम शामिल हैं। चार्जशीट में देशद्रोह, धोखाधड़ी, इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी, गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगाया गया है। उल्लेखनीय है कि नौ फरवरी,2016 को जेएनयू केपस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल यह तीनों जमानत पर हैं। इस मामले में अभियोजन की स्वीकृति देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। चार दिसम्बर,2019 को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि अभियोजन के लिए स्वीकृति देने के मामले पर कानून के मुताबिक फैसला करें। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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