जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए बड़ी चुनौती : आनंदीबेन
जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए बड़ी चुनौती : आनंदीबेन

जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए बड़ी चुनौती : आनंदीबेन

-खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ स्वच्छ वातावरण का भी होना चाहिए लक्ष्य लखनऊ, 22 जून (हि.स.)। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को राजभवन से जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया एवं श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के कृषि संकाय द्वारा आयोजित 'जलवायु परिवर्तन के काल में पोषण एवं खाद्य सुरक्षा: चुनौतियां एवं समाधान' विषयक राष्ट्रीय वेबिनार को सम्बोधित कर रही थीं। राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन मानव के लिये खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि चक्रवात, सूखा, बाढ़, भूस्खलन, लू और समुद्र का बढ़ता जल स्तर जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारक है। मानव की लालची प्रवृत्ति ने निर्ममता से प्रकृति का किया शोषण राज्यपाल ने कहा कि भारतीय परम्परा में पेड़-पौधों में परमात्मा, जल में जीवन, चांद और सूरज में परिवार का भाव देखने को मिलता है। वेदों में पृथ्वी और पर्यावरण को शक्ति का मूल माना जाता है। उन्होंने कहा कि मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस निर्ममता से प्रकृति का शोषण किया है, उसका परिणाम यह है कि आज पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य पर गम्भीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे ज्यादा परेशानी समाज के निर्धन एवं वंचित लोगों पर ही पड़ती है। इसलिये वर्तमान पीढ़ी का यह दायित्व है कि वह भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखने का प्रयास करे। जैव प्रौद्योगिकी निभा सकती है अहम भूमिका राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसका कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। जलवायु परिवर्तन द्वारा दृष्टिगत हो रहे दुष्प्रभावों का सामना करने में जैव प्रौद्योगिकी अहम भूमिका निभा सकती है। जैव प्रौद्योगिकी द्वारा ऐसी प्रजातियां विकसित करने की आवश्यकता है, जिन्हें विषम परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सके। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ हमारा लक्ष्य स्वच्छ वातावरण भी होना चाहिए। अतः ऐसे सभी विकल्पों को ढूंढ़ने की आवश्यकता है जो रसायनों के ऊपर निर्भरता कम कर सकें। किसान कड़ी मेहनत कर खाद्य सुरक्षा बनाये रखने के लिए प्रयासरत राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे किसान दिन-रात मेहनत कर देश की खाद्य सुरक्षा को बनाये रखने के लिये प्रयासरत हैं। आज किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप हमारे खाद्य भण्डार भरे रहते हैं। हमारा देश खाद्यान्न के क्षेत्र में अब आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के विभिन्न चरणों के लाॅकडाउन के दौरान देश में खाद्यान्न आपूर्ति की निरन्तरता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि भारत में खाद्यान्न सामग्री की दिक्कत नहीं हुई। केन्द्र और प्रदेश सरकार ने निरन्तर खाद्य आपूर्ति चेन को बनाये रखा। संतुलित आहार में पोषक तत्वों की हो पर्याप्त उपस्थिति राज्यपाल पटेल ने पोषण सुरक्षा के लिये संतुलित आहार में पोषक तत्वों की पर्याप्त उपस्थिति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिये प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र के 43.5 प्रतिशत बच्चे एवं 50 प्रतिशत महिलाएं कुपोषण एवं एनीमिया (रक्त की कमी) का शिकार हैं। इसमें ज्यादातर हमारी ग्रामीण महिलाएं और बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण हमारे अस्तित्व, विकास, स्वास्थ्य, उत्पादकता और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कल्पतला पाण्डेय, विषय विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं ऑनलाइन जुडे़ हुए थे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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