गुमशुदा बच्चों के मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिए दिशा-निर्देश
गुमशुदा बच्चों के मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिए दिशा-निर्देश

गुमशुदा बच्चों के मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिए दिशा-निर्देश

गुमशुदा बच्चों के मामले में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिए दिशा-निर्देश - दिल्ली पुलिस और रेल मंत्रालय से 3 मार्च तक मांगी एक्शन टेकन रिपोर्ट नई दिल्ली, 20 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने गुमशुदा बच्चों के मामले में दिल्ली पुलिस के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है। हाई कोर्ट ने कहा है कि गुमशुदा बच्चों की तलाश करते समय दिल्ली पुलिस को सक्रिय होने की जरुरत है। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता धींगरा सहगल की बेंच ने ये दिशा-निर्देश एक गुमशुदा बच्ची के बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और रेल मंत्रालय से 3 मार्च तक एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने काे भी कहा है। हाई कोर्ट ने 3 वर्ष से 8 वर्ष के बच्चों के गुम होने के मामले में निर्देश दिया है कि अगर उनको गुम हुए चार महीने या उससे ज्यादा हो जाएं तो संगठित गिरोह के हाथ होने की आशंका को देखते हुए जिलों की एंटी ह्युमैन ट्रैफिकिंग युनिट्स (एएचटीयू) बतौर नोडल एजेंसी काम करेगी। हाई कोर्ट ने जिलों के एएचटीयू को निर्देश दिया है कि वे स्थानीय पुलिस के अलावा दूसरी एजेंसियों के साथ समन्वय के साथ काम करेंगे। एएचटीयू जांच अधिकारियों को विशेषज्ञों के साथ-साथ तकनीकी साक्ष्यों के संग्रह और उनका विश्लेषण करने में मदद करेगी। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि हर जिले में डीसीपी रैंक या उससे ऊपर का अधिकारी हर पखवाड़ा हर गुमशुदा बच्चे के मामले की जांच की समीक्षा करेगा। हर जिले की एएचटीयू युनिट में एसीपी या उससे ऊपर के रैंक का पुलिस अधिकारी नियमित रुप से गुमशुदा बच्चों के लंबित या बंद हो चुके मामलों का विश्लेषण करेगा और उनके पैटर्न की पहचान करेगा कि कहीं संगठित गिरोह तो काम नहीं कर रहा है। अगर ऐसा लगे कि बच्चों की गुमशुदगी के मामले में मानव तस्करी या संगठित गिरोह का हाथ है तो उस पर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई होनी चाहिए और बच्चों को छुड़ाने के लिए आपरेशन लांच करना चाहिए। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि हर जिले में इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एएचटीयू की एक टीम का गठन हो, जो ऑपरेशन मिलाप के तहत बच्चों को छुड़ाने का काम करे। कोर्ट ने जांच के लिए दिल्ली पुलिस को रेडियो टैक्सी या कैब की सेवा लेनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चों की गुमशुदगी के 72 घंटे के अंदर विज्ञापन देना होगा। हाई कोर्ट ने रेल मंत्रालय को भी निर्देश दिया है कि वह जांच अधिकारियों की दिल्ली से बाहर की यात्रा के लिए आपात कोटा उपलब्ध कराए, ताकि जांच अधिकारियों को दिल्ली के बाहर जाने में परेशानी न हो। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत/बच्चन-hindusthansamachar.in

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