कोमा में पति तो पत्नी को संरक्षक बना सौंपे सारे अधिकार
कोमा में पति तो पत्नी को संरक्षक बना सौंपे सारे अधिकार

कोमा में पति तो पत्नी को संरक्षक बना सौंपे सारे अधिकार

प्रयागराज, 15 जून (हि.स)। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले में मानवीय चेहरा उजागर हुआ है। कोर्ट ने कोई कानून न होने के बावजूद पत्नी को पति का संरक्षक नियुक्त कर दिया है। पति डेढ़ साल से दिमागी आपरेशन के बाद कोमा में है। इलाज के कर्ज में उलझी पत्नी ने पति के बैंक खातों के संचालन व उनकी संपत्ति बेचने का अधिकार मांगने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने फरियाद सुनी, कोई कानून नहीं मिला तो संविधान के अनुच्छेद 226 में प्राप्त अंतर्निहित अधिकारों का प्रयोग कर पत्नी को बड़ी राहत दी है। केन्द्र सरकार को कानून बनाने की संस्तुति भेजी कोर्ट ने कहा है कि याची बिना महानिबंधक की पूर्व अनुमति के अचल संपत्ति नही बेच सकेगी। किन्तु मकान खाली कराने या किराये पर उठाने की खुली छूट रहेगी। कोर्ट ने पति का पत्नी को संरक्षक नियुक्त करते हुए कहा है कि वह पति की संपत्ति से इलाज कराने के अलावा अपनी दो बेटियों की शादी का खर्च कर सकेगी। परिवार के हित में खर्च की छूट होगी। पति की तरफ से निर्णय लेने व हस्ताक्षर करने का अधिकार होगा। कोर्ट ने कहा है कि नाबालिग व अक्षम लोगों का संरक्षक नियुक्त करने का कानून है किन्तु लंबे समय तक कोमा में पड़े मरीज का संरक्षक नियुक्त करने का कोई कानून नहीं है। इसलिए कोर्ट ने केन्द्र सरकार को इस संबंध में कानून बनाने की संस्तुति भी की है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति एस एस शमशेरी की खंडपीठ ने प्रयागराज की श्रीमती उमा मित्तल व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने मार्मिक फैसले में कहा है कि परिवार का पालन करने वाला डेढ़ साल से कोमा में है। पत्नी रिश्तेदारों व मित्रों से उधार लेकर पति का इलाज करा रही है। पति के बैंक में पैसे व संपत्ति के बावजूद पत्नी कानूनी अड़चन के चलते उनका उपयोग नहीं कर पा रही है। उसने बैंक खाते के संचालन व संपत्ति बेचने के अधिकार के लिए कोर्ट की शरण ली है। उसकी एक शादी शुदा सहित तीनों बेटियों व बेटे ने भी मां को पिता का संरक्षक नियुक्त करने की मांग की है। कोर्ट ने सीएमओ प्रयागराज के नेतृत्व में डाक्टरों के टीम की मेडिकल रिपोर्ट देखी। जिसमें कोमा की स्थिति की पुष्टि की गयी है। कोर्ट ने कहा कि जब तक याची के पति स्वयं कार्य करने लायक नहीं होते, तब तक वह संरक्षक का दायित्व पूरा करेगी और हर छह माह पर मेडिकल की स्थिति एवं पति की संपत्ति के विनियमन की रिपोर्ट महानिबंधक को करती रहेगी। मालूम हो कि 22 दिसम्बर 18 को याची के पति सुनील कुमार मित्तल बाथरूम में फिसल कर गिर गये और बेहोश हो गये। फिर होश नहीं आया। उन्हें इलाज के लिए इलाहाबाद, लखनऊ अंततः दिल्ली ले जाया गया। जहां दिमाग का आपरेशन हुआ। डाक्टरों ने घर भेज दिया। क्लाइव रोड, सिविल लाइन्स स्थित याची के घर में ही आईसीयू जैसी व्यवस्था कर इलाज हो रहा है। डाक्टरों ने जीवन भर इलाज चलाने को कहा है। मित्तल की इलाहाबाद शहर में करोड़ों की संपत्ति है। अपना व्यापार है। जिसके लिए अधिकार की मांग हाईकोर्ट में की गयी थी। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/दीपक-hindusthansamachar.in

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