भारतीय संस्कृति, रहन-सहन व खान-पान पाश्चात्य संस्कृति की अपेक्षा बेहतर एवं स्वास्थ्यप्रद-आनंदीबेन
भारतीय संस्कृति, रहन-सहन व खान-पान पाश्चात्य संस्कृति की अपेक्षा बेहतर एवं स्वास्थ्यप्रद-आनंदीबेन

भारतीय संस्कृति, रहन-सहन व खान-पान पाश्चात्य संस्कृति की अपेक्षा बेहतर एवं स्वास्थ्यप्रद-आनंदीबेन

कहा, योग के जरिए भी बचा जा सकता है अनेक शारीरिक-मानसिक बीमारियों से लखनऊ, 13 जून (हि.स.)। प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को राजभवन से ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के इंडोक्राइन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर महामारी कोविड-19 संक्रमण का गहरा प्रभाव पड़ा है। भारत में सभी के सामुदायिक प्रयासों से कोविड-19 की लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है। राज्यपाल ने कहा कि सेवा और त्याग की भावना भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। भारतीय संस्कृति आध्यात्म, संगठन, योग, प्रकृति, आयुर्वेद, सेवा और त्याग का न केवल पोषण करती है, बल्कि जीव-जंतु, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को स्वस्थ्य मानव-जीवन के लिये संरक्षित करने का आह्वान भी करती है। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना से संक्रमित लोगों को एकांतवास और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से निर्मित काढ़ा दिया जाता है, जो प्रकृति द्वारा प्रदेय आहार से मिलता है। आनंदीबेन पटेल ने युवाओं और बच्चों में फास्ट-फूड के बढ़ते प्रचलन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे बच्चे पौष्टिक खाद्य पदार्थों से दूर होते जा रहे हैं। जब वे पौष्टिक चीजें खायेंगे तभी उनका शरीर स्वस्थ और निरोग बनेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति, रहन-सहन एवं खान-पान पाश्चात्य संस्कृति की अपेक्षा बेहतर एवं स्वास्थ्यप्रद है। राज्यपाल ने कहा कि योग के माध्यम से भी अनेक शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेष्ट रहें इसलिए यह आवश्यक है कि वे अनिवार्य रूप से भारत सरकार के आरोग्य सेतु ऐप एवं आयुष कवच को अपने मोबाइल में डाउनलोड करें। राज्यपाल ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने ग्रामीण स्तर पर ही अनेक रोजगार सृजित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये हैं। इससे प्रवासी श्रमिकों के जीवन यापन की सुचारू रूप से व्यवस्था हो सकेगी। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में 'नई शिक्षा नीति' लागू करने का जो निर्णय है, उसमें प्रदेश के विश्वविद्यालय अपनी भूमिका सिद्ध करें। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कामकाजी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिये 'बाल श्रमिक विद्या योजना' का शुभारम्भ किया है, जिसका लाभ मजबूरी में बालश्रम करने वाले बच्चों को मिलेगा और वह शिक्षा से वंचित भी नहीं रहेंगे। इस अवसर पर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति डाॅ. एमएलबी भट्ट, ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मारूख मिर्जा सहित देश एवं विदेश से अन्य महानुभाव इस वेबिनार से जुड़े हुए थे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/राजेश-hindusthansamachar.in

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