गंगोत्री (Gangotri), धाम देव भूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसके आस- पास की पहाड़ियां वर्ष भर बर्फ से ढकी रहती हैं। यहां से 19 किमी की दूरी पर गौमुख है, जो गंगा नदी का उद्गम स्थल है। यही पर एक देवी गंगा को समर्पित मंदिर है। गंगोत्री छोटे चार धामों (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) में से एक है जहाँ अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवम्बर के बीच दर्शन किये जाते हैं। देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा गंगा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर खोला जाता है और दीपावली के मौके पर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। सफेद ग्रेनाइट के चमकदार पत्थरों से निर्मित यह मंदिर जितना पवित्र है उतना ही सुंदर है। यहां एक शिवलिंग रुपी चट्टान जल में डूबा हुआ है जिसका मनमोहक दृश्य देखकर दैवीय शक्ति का एहसास होता है।
गंगोत्री के निकट स्थित गंगा मंदिर का निर्माण गढ़वाल के गुरखा सेनापति "अमर सिंह थापा" द्वारा 18 वीं शताब्दी में करवाया गया था। जिसके आस पास ही गंगोत्री शहर का विकास हुआ। इस शहर में श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए वर्ष 1980 में यहां सड़क का निर्माण किया गया था।
माना जाता है कि राजा भगीरथ कठोर तप द्वारा गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाये थे, और जहाँ भगीरथ ने तपस्या की थी वहाँ आज गंगा जी का मंदिर बना है।
एक पवित्र तीर्थ स्थल होने के कारण गंगोत्री में मांसाहार और शराब पर प्रतिबंध है
पर्यटक यात्रा के दौरान ऊनी कपड़े अपने साथ अवश्य ले जाएँ
अपने साथ खाने-पीने की चीजें जरूर रखें
फोटोग्राफी के शौकीन पर्यटक यहाँ कैमरा ले जा सकते हैं
गंगोत्री मंदिर सुबह 6.15 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक और तीन बजे से लेकर 9.30 बजे तक खुला रहता है