निजी स्कूल प्रबंधन पर ट्यूशन शुल्क नहीं लिये जाने का दबाव बनाना अनुचित है: आलोक दुबे
निजी स्कूल प्रबंधन पर ट्यूशन शुल्क नहीं लिये जाने का दबाव बनाना अनुचित है: आलोक दुबे

निजी स्कूल प्रबंधन पर ट्यूशन शुल्क नहीं लिये जाने का दबाव बनाना अनुचित है: आलोक दुबे

रांची, 09 जून (हि. स.)। प्राइवेट स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन आलोक कुमार दूबे और महासचिव लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन पर ट्यूशन शुल्क नहीं लिये जाने का दबाव बनाया जाना पूरी तरह से अनुचित है। राज्य में सरकारी स्कूलों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में निजी स्कूलों के माध्यम से ही विद्यार्थियों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। दुबे ने मंगलवार को कहा कि झारखंड में करीब 20 हजार निजी स्कूल संचालित है और इनमें लगभग पांच लाख शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी कार्यरत है।ऐसे में ट्यूशन शुल्क नहीं लेने का एकतरफा दबाव बनाये जाने से इन शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। यह अभिभावक, शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच का मामला है। इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ओर कोरोना संकट में बेरोजगार हुए लाखों प्रवासी श्रमिक घर वापस लौट रहे है जिन्हें राज्य सरकार रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मशक्कत कर रही है। ऐसे में अगर झारखंड में कार्यरत निजी स्कूलों के शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी भी बेरोजगार हो जाएंगे, तो इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा। इसलिए सभी पहलुओं पर ध्यान देने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए। निजी विद्यालयों की आयोजित बैठक में जाने के पूर्व आलोक दूबे ने शिक्षा मंत्री को उनके आवास पर ज्ञापन सौंपा। एसोसिएशन ने यह भी कहा है झारखण्ड सरकार निजी स्कूलों को लेकर लिये जाने वाले निर्णय का स्वागत करेगी। शिक्षामंत्री को सौंपे गये ज्ञापन में मांग की गयी है कि राज्य सरकार निजी स्कूलों के विभिन्न टैक्सों को माफ करें और एकतरफा निर्णय नहीं ले। उन्होंने शिक्षामंत्री के प्रति इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि 19 वर्ष में पहली बार राज्य का कोई शिक्षामंत्री निजी स्कूलों के साथ बैठक कर समस्या के समाधान की दिशा में पहल की कोशिश की है। इसके लिए शिक्षामंत्री के प्रति एसोसिएशन आभार व्यक्त करता है। हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण/ सबा एकबाल-hindusthansamachar.in

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