तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि ने कहा- चीन से जंग हुई तो भारी पड़ेगा भारत
तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि ने कहा- चीन से जंग हुई तो भारी पड़ेगा भारत

तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि ने कहा- चीन से जंग हुई तो भारी पड़ेगा भारत

कोलकाता, 22 जून (हि.स.)। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा द्वारा स्थापित चीन की सरकार के प्रतिनिधि डॉक्टर लोबसांग संगे ने सोमवार को कहा है कि अगर भारत और चीन के बीच जंग होती है तो चीन अकेला पड़ जाएगा और भारत को विश्व नेतृत्व का साथ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस जंग में भारत-चीन पर चौतरफा भारी पड़ेगा। भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से इंडिया तिब्बत चाइना सिनर्जिंग ग्लोबल पीस नाम से आयोजित वेबीनार को संबोधित करते हुए संगे ने सोमवार को यह दावा किया है। उन्होंने चीन की विस्तारवादी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि चीन अपने पड़ोसियों के साथ हड़प नीति अपनाता है और किसी भी समझौते की कदर नहीं करता। पंचशील समझौते का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देशों के बीच कभी भी हिंसक संघर्ष नहीं होंगे, ना ही सीमा का अतिक्रमण किया जाएगा। लेकिन चीन ने सभी समझौतों को तोड़ दिया है। इसलिए भारत उस पर चौतरफा सामरिक और कूटनीतिक दबाव बना सकता है। वैश्विक नेतृत्व भारत का ही साथ देगा क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीतियों की वजह से केवल समस्याएं खड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा कि चीन की सीमा ग्रेट वॉल ऑफ चाइना तक सीमित थी इसीलिए चीनी साम्राज्य के पूर्वजों ने अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना बनाया, लेकिन आज चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों की वजह से इस दीवार की सीमाएं पार कर पड़ोसी देशों की सीमाओं में घुसने लगा है। उसने मंगोलिया पर कब्जा किया। हांगकांग पर कब्जा किया, तिब्बत को हड़पा, अब भारत में घुसने की कोशिश कर रहा है। इसके खिलाफ भारत को वैश्विक मंच का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन ने दलाई लामा के साथ खराब बर्ताव किया, 80 हजार तिब्बती लोगों को भागना पड़ा। हम शुक्रगुजार हैं, भारत के जिन्होंने हमें शरण दी, हमें हमारी सभ्यता और संस्कृति को बचाकर रखने में मदद की। संगे ने कहा कि भारत और तिब्बत के बीच संबंध चिरकालीन है। बौद्ध धर्म की शुरुआत भारत से हुई जो आज चीन का मूल धर्म है। हम धार्मिक लोग हैं जबकि चीन ईश्वर को मानता ही नहीं। चीन ने लाखों मूर्तियां तोड़ी और धरोहरों को नष्ट किया। इसलिए तिब्बती चीन पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते। उन्होंने कहा कि चीन ने बांग्लादेश से लेकर श्रीलंका तक घुसपैठ की कोशिश की है। इसीलिए इसकी नीतियों का कड़ा विरोध होना जरूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर चीन से भारत की जंग हुई तो भारत भारी पड़ेगा और चीन को घुटने टेकने होंगे। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में स्थिति ऐसी है कि कोई भी देश चीन का साथ नहीं देगा। उल्लेखनीय है कि चीन के कब्जे वाले तिब्बत में दलाई लामा ने एक स्वतंत्र सरकार की स्थापना की है जिसके प्रतिनिधि के तौर पर संगे वेबीनार में शामिल हुए थे। हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/सुनीत-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in