ट्रम्प की दूसरी पारी को लेकर रिपब्लिकन पार्टी में सुगबगाहट क्यों?
ट्रम्प की दूसरी पारी को लेकर रिपब्लिकन पार्टी में सुगबगाहट क्यों?

ट्रम्प की दूसरी पारी को लेकर रिपब्लिकन पार्टी में सुगबगाहट क्यों?

ट्रम्प धार्मिक नहीं होते हुए भी इवेंजिलिकल समुदाय के निर्विवाद नेता हैं लॉस एंजेल्स 09 जून (हिस): राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दूसरी पारी को ले कर रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेताओं में समर्थन को ले कर सुगबगाहट शुरू हो गई है। राष्ट्रपति चुनाव 03 नवंबर, 2020 को होने हैं, जिन में पाँच महीनों का समय शेष है। इस चुनाव में 73 वर्षीय ट्रम्प के ख़िलाफ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के 77 वर्षीय जोई बिडेन के बीच कड़े मुक़ाबले की उम्मीद की जा रही है। ग्रैंड ओल्ड पार्टी के रूप में विख्यात रिपब्लिकन पार्टी के इतिहास में यह पहला मौक़ा है, जब राष्ट्रपति पद के चुनाव से पूर्व पार्टी के शीर्ष नेताओं में परस्पर कड़े मतभेद हैं। रिपब्लिकन नेता ट्रम्प का बहिष्कार : पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश, उनके अनुज जेब बुश, सिनेटर और राष्ट्रपति पद के लिए पूर्व में नामित मित रोमनी, अलास्का की सिनेटर लिसा मरकोवसकी, एक वरिष्ठ नेता पूर्व सिनेटर जान मेकेन की पत्नी सिंडी मेकेन, पूर्व स्पीकर पाल रियान, पूर्व विदेश मंत्री कोलिन पावेल सहित दर्जन भर सिनेटरों के अलावा ट्रम्प मंत्री मंडल में रक्षा मंत्री जिम मेटीस, व्हाइट हाउस में चीफ़ आफ स्टाफ़ रहे पूर्व नौसेना जनरल जान कैली, ओसामा बिन लादेन की मृत्यु को अंजाम देने वाले नौ सेना एडमिरल विलियम एच मैक्वेन तथा फ़्लोरिडा के धन कुबेर फ़्रांसिस रोडनी सहित ऐसे कितने ही रिपब्लिकन हैं, जो ट्रम्प का विरोध कर रहे हैं। सवाल इतना सा है कि क्या ये सभी परंपरावादी अपनी आँखों के सम्मुख रिपब्लिकन क़िला ढहते देख पाएँगे? इसके विपरीत ट्रम्प के समर्थन में सीनेट में बहुमत रिपब्लिकन दल के नेता मिच मेक्नोल, टेड क्रूज, लिंडसे ओ॰ ग्राहम , सिनेटर टॉम काटन, सिनेटर कोरी गार्डनर, अश्वेत सिनेटर टिम स्क़ोट, कांग्रेस में प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन दल के नेता केविन मेकार्थी आदि दर्जनों नेता हैं, जो समर्थक हैं। हालाँकि अमेरिकी सेना में वरिष्ठ सेनाधिकारियों की पत्नियों ने नस्लीय संकट पर ट्रम्प के बड़बोलेपन और कथित व्यवहार को ले कर निंदा की है। ट्रम्प धार्मिक न होते हुए भी परंपरवादियों और चर्च के नुमाइंदे हैं : वाशिंगटन डीसी में वाइट हाउस के सम्मुख सेंट जान पाल चर्च में ट्रम्प ने नस्लीय आक्रोश के बीच पैदल मार्च करते हुए मीडिया के सम्मुख हाथों में बाइबल ले कर 'ईश-प्रतिनिधि' होने का संदेश दिया, उस से इवेंजिकल और कैथोलिक पादरियों में खलबली मच गई। बिशप इपिसकोपाल चर्च के माइकल चर्री और वाशिंगटन के आर्कबीशप विलटन डी ग्रेगरी ने ट्रम्प के इस कृत्य को राजनीति से प्रेरित बताया। मीडिया में भी ट्रम्प की ख़ूब बुराई हुई। इसके विपरीत ट्रम्प इवेंजिलिकल समुदाय में खासे लोकप्रिय हैं। ब्रेट कैवनॉ और नील गोर्सूख, दो परंपरवादी जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति इवेंजिलिकल समुदाय में उनकी मज़बूत पकड़ का संकेत है। अभी कोविड-19 में यह ट्रम्प ही था जिसने गत 22 मई को चर्च खोले जाने की वकालत की थी। पिछले चुनाव में वर्ष 2016 में ट्रम्प ने 81 प्रतिशत श्वेत इवेंजिलिकल मत हासिल किए थे, जबकि श्वेत कैथोलिक समुदाय में भी ट्रम्प को हिलरी क्लिंटन से 60 %--37 % अधिक मत मिले थे। ट्रम्प दावा कर रहे हैं कि उन्होंने अश्वेत समुदाय के लिए पिछले तीन सालों में जितना किया है, बाइडन 43 साल की राजनीति में नहीं कर पाए हैं। पियु रिसर्च पोल में 75 % वेंजिलिकल प्रोटेस्टेंट ने कोविड-19 से निपटने में ट्रम्प की सराहना की है। इसके विपरीत एक अन्य वेबसाइट फ़ाइव थरटी एट ने 43 % ने समर्थन और 53.4 प्रतिशत ने विरोध किया है। हिन्दुस्थान समाचार/ललित बंसल/कुसुम-hindusthansamachar.in

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