जिस समय में बड़े किलों व महलों को शौर्य और पराक्रम का प्रतीक माना जाता था, उस मुग़लकालीन युग की भव्य देन है "आगरा का किला"। आगरा शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक "आगरा किला" को "लाल किला, किला-ए-अकबरी" जैसे नामों से भी जाना जाता रहा है।
इस किले के विस्तार को देखकर हर कोई मुग़ल सल्तनत की सत्ता और शक्ति का अनुमान लगा सकता है। अकबर के शासन के बाद उनके पोते शाहजहां ने किले में सफेद संगमरमर से कुछ इमारतें बनवाई। सत्तर फीट ऊंची दीवारों, शाही बुर्ज और विशाल दरवाज़ों वाले इस किले में प्रवेश कर पर्यटक सबसे पहले दीवान-ए-आम पहुंचते हैं। शीश महल, दीवान-ए- खास, अंगूरी बाग, खास महल, मीना मस्जिद, नगीना मस्जिद, मुसम्मन बुर्ज की गिनती आगरा किला के उत्कृष्ट भवनों में होती है।
अकबर के दरबार में रहे इतिहासकार अबु फजल ने अपनी किताब "आईन-ए-अकबरी" में जिक्र किया है कि जिस स्थान पर आज आगरा किला स्थित है, वहां कभी एक पुराना पठान किला हुआ करता था और उस जगह को बादलगढ़ कहा जाता था। अकबर द्वारा निर्मित और शाहजहाँ द्वारा पुनःनिर्मित इस किले को तैयार करने में करीब 14 लाख से भी ज्यादा मजदूरों ने तकरीबन आठ सालों तक कार्य किया और 1573 में आगरा के इस शानदार किले का निर्माण पूरा हुआ।
ऐसा कहा जाता है कि मोहब्बत की निशानी ताजमहल को बनाने वाले शाहजहां का निधन आगरा किले में ही हुआ था। अपने बेटे औरंगज़ेब द्वारा शाहजहां को इस किले में आठ सालों तक नज़रबंद कर दिया गया था। कहते हैं 1666 में किले के मुसम्मन बुर्ज से शाहजहां ने ताज महल के अद्भुत नज़ारे को देखते हुए अपनी अंतिम सांसे ली थीं और उन्हें अपनी बेगम के साथ ताजमहल में ही दफनाया गया था।
भारतीय पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क 20 रुपये और विदेशी यात्रियों के लिए 200 रूपये है। 15 साल से कम उम्र के बच्चों का प्रवेश निशुल्क है।
गर्मियों के मौसम में जाने से बचें।
हेवी बैग्स व सामान न ले जाएं।
किले के अंदर खाना व धूम्रपान करना मना है।
केवल पहचान पत्र धारक फोटोग्राफर या गाइड ही चुनें।
यह किला हफ्ते के सभी दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है।