....आखि‍र तबलीगी जमात के मरकज की लापरवाही क‍िसकी !
....आखि‍र तबलीगी जमात के मरकज की लापरवाही क‍िसकी !

....आखि‍र तबलीगी जमात के मरकज की लापरवाही क‍िसकी !

....आखिर तबलीगी जमात के मरकज की लापरवाही किसकी ! नई दिल्ली, 31 मार्च (हि.स.)। निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज की वजह से राजधानी ही नहीं पूरे देश में कोरोना का संकट बड़ा होने के खतरा पैदा हो गया हैं। लापरवाही चाहे पुलिस, दिल्ली प्रशासन या मरकज मरकज प्रशासन की रही हो उसका खामियाजा पूरे देश को ही भुगतना पड़ेगा। लॉक डाउन के बाद निजामुद्दीन स्थित मरकज में इतनी बड़ी भीड़ जुटने के बाद अब सभी एक-दूसरे पर लापरवाही बरतने के आरोप लगा रहे हैं। पूरे मामले पर मरकज प्रशासन का कहना है कि प्रधानमंत्री के जनता कर्फ्यू से ठीक पहले 21 मार्च को ही लगभग पूरा मरकज खाली करा लिया गया था। लेकिन 22 मार्च की शाम को जब प्रधानमंत्री ने 21 दिन के लॉक डाउन की घोषणा की तो काफी सारे जमाती जो निजामुद्दीन के रास्ते में थे, वह मरकज पहुंच गए। यहां कई राज्यों एक हजार से ज्यादा लोगों के अलावा 100 अधिक विदेशी भी फंस गए। मरकज प्रशासन ने लगातार इन फंसे हुए लोगों को इनके घरों तक पहुंचने के लिए एसडीएम को चिट्ठी लिखकर वाहनों के पास बनाने की अनुमति मांगी। पुलिस को भी इसकी सूचना दे दी गई। लेकिन एसडीएम की ओंर से इनको निकालने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। निजामुद्दीन स्थित मरकज में मौजूद बंगले वाली मस्जिद के मौलाना यूसुफ ने बताया कि मरकज में फंसे लोगों के बारे में निजामुद्दीन थाना पुलिस को पता था। 23 मार्च को मरकज प्रशासन ने पुलिस अधिकारियों से जमातियों के फंसे होने के बारे में फोन पर बातचीत की थी। इसके बाद बकायदा 24 मार्च को दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस की ओर से एक चिट्ठी मरकज प्रशासन को मिली। उसमें मरकज में मौजूद लोगों को तुरंत दूसरे स्थित पर शिफ्ट करने की बात लिखी गई थी। इस चिट्ठी के जवाब में मरकज प्रशासन ने मौलाना यूसुफ के नाम से एसडीएम और निजामुद्दीन थाना प्रभारी को चिट्ठी लिखी थी। पुलिस को लिखी चिट्ठी में लिखा गया था कि आसपास के राज्यों के फंसे करीब एक हजार से अधिक लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए सात बसों की डिटेल देकर एसडीएम से उनके पास बनवाने की अनुमति मांगी गई है। चिट्ठी में यह भी लिखा गया कि एसडीएम ने इस संबंध 25 मार्च को ही सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाकर इस पर चर्चा भी करने की बात की थी। लेकिन इन लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। मरकज प्रशासन का कहना है कि जब कुछ लोगों की तबीयत खराब होने की सूचना मिली तो प्रशासन की ओर से मरकज के बाहर टेंट लगाकर उनकी जांच शुरू की गई। बाद में जो लोग संदिग्ध मिलने लगे, उनको अस्पताल भेजने का काम लगातार चलता रहा।27 मार्च से ही मरकज से लोगों को निकालकर अलग-अलग अस्पतालों में में भेजने का काम शुरू हो गया। वहीं जो विदेशी जमाती यहां फंसे थे, उनके दूतावासों से लगातार बातचीत चल रही थी। चूंकि इंटरनेशनल फ्लाइट भी बंद थीं, ऐसे में यह अपने देश भी नहीं जा सकते थे। मरकज प्रशासन का कहना है कि उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। पुलिस और सरकार को लोगों की संख्या और विदेशी जमातियों के बारे में सब कुछ पता था। यह कहना है अमानतुल्लाह खान 23 मार्च की रात 12 बजे मैने पुलिस उपायुक्त दक्षिण-पूर्व आरपी. मीणा और एसीपी निजामुद्दीन को बता दिया था कि निजामुद्दीन मरकज में 1000 से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। फिर पुलिस ने इनको सुरक्षित भेजने का इंतजाम क्यों नहीं किया। मीडिया ने पूरे मामले को बढ़ाया है। पहले दिन से फंसे हुए लोगों को निकालने के प्रयास जारी है। 21 मार्च को ही मरकज को खाली करा लिया गया था। 22 मार्च को जो लोग रास्ते में थे, वह लोग धीरे-धीरे मरकज में जुड़ते चले गए। ट्रेन 31 मार्च तक कैंसिल हो गई थीं। यहां भीड़ इकट्ठा होती गई। बाद में प्रधानमंत्री की ओर से 21 दिन के लॉक डाउन का ऐलान कर दिया गया। जब लोग मरकज में फंस गए तो हम लोग एसएचओ निजामुद्दीन के पास गए। उनसे कहा गया कि कुछ रास्ता निकालें। एसएचओ ने भी जल्द से जल्द मरकज को खाली कराने के कहा। पुलिस से बसों के इंतजाम की बात की गई। एसडीएम से बातचीत की गई तो उन्होंने सभी लोगों और वाहनों की लिस्ट मांगी। कई राज्यों के अलावा दक्षिण भारतीय राज्यों के लोग मरकज में मौजूद थे। एसडीएम ने कहा इतने सारे राज्यों में भेजने की अनुमति हम नहीं दे सकते हैं। एसडीएम भी फिक्रमंद थे कि इन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना है। लेकिन उनके पास फौरन कोई इंतजाम नहीं था। इसके बाद लगातार प्रयास जारी रहे। धीरे-धीरे पहले जिन लोगों को हल्का नजला, खासी और बुखार था उनको राजीव गांधी अस्पताल भेजा गया। इसके बाद दो सौ लोगों को दूसरे अस्पतालों में भेजा गया। इस दौरान मीडिया को पता चल गया। हेल्थ डिपार्टमेंट ने कहा था कि हम इन लोगों के लिए यहां एक हेल्थ कैंप लगाकर जांच कर आगे भेजेंगे। मरकज के आगे कैंप लगाकर जांच के बाद लोगों को अलग-अलग अस्पताल भेजा गया। तमिलनाडु वाले साथी जिसकी मौत हुई है, वह भी एकदम ठीक था। मरकज ने जो भी कदम उठाए हैं, इसकी जानकारी पुलिस व प्रशासन को लिखित में दी गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी शर्मा-hindusthansamachar.in

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