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मिल्खा से डिनर का निमंत्रण मिलना अमूल्य, मिल्खा का रिकॉर्ड तोड़ने वाले परमजीत

नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। पूर्व भारतीय एथलीट परमजीत सिंह ने कहा है कि महान धावक मिल्खा सिंह से डिनर का निमंत्रण मिलना उनके लिए सम्मान की बात थी। महान धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार रात निधन हो गया। वह 91 साल के थे। मिल्खा सिंह का 400 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड 38 साल तक कायम था, जिसे परमजीत ने 1998 में एक घरेलू प्रतियोगिता में तोड़ा था। परमजीत ने मिल्खा सिंह के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए आईएएनएस से कहा, चूंकि मैं मिल्खा सिंह के 45.73 सेकेंड के 400 मीटर के रिकॉर्ड को तोड़ने वाला पहला एथलीट था, और उन्होंने मुझे और मेरे कोच हरबंस सिंह को 1998 में चंडीगढ़ में अपने आवास पर रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। चर्चा के दौरान, उन्होंने मुझे बताया कि 1960 के दशक के अंत में अपर्याप्त सुविधाओं के बावजूद जीतने की उनकी इच्छा ही उनकी सफलता की कुंजी थी। परमजीत ने 23 साल पहले कोलकाता में 400 मीटर दौड़ को 45.70 सेकेंड में पूरा किया था और तब उन्होंने मिल्खा सिंह के 38 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा था। परमजीत द्वारा रिकॉर्ड तोड़ने बहुत पहले, दिग्गज धावक मिल्खा ने 400 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ने वाले को पुरस्कार के रूप में दो लाख रुपये की पेशकश की थी। लेकिन जब परमजीत ने मिल्खा का रिकॉर्ड तोड़ दिया तो मिल्खा ने परमजीत को केवल एक लाख रुपये दिए। मिल्खा ने बाद में बताया कि दो लाख रुपये का पुरस्कार विदेशों में रिकॉर्ड तोड़ने के लिए था। परमजीत ने कहा कि उन्हें पैसे की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि उन्होंने मुझे रात के खाने के लिए आमंत्रित किया और अपने दौड़ने के अनुभव को साझा किया, जोकि उनके द्वारा घोषित नकद प्रोत्साहन से अधिक महत्वपूर्ण था। हम उनके और उनके परिवार के साथ तीन घंटे बैठे। यह जीवन भर का अनुभव था। एक विश्व प्रसिद्ध एथलीट आपको बुला रहा है, घर पर रात के खाने के लिए जोकि पैसे की तुलना में अधिक मूल्यवान है। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। 1998 के बैंकाक एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम के सदस्य रह चुके परमजीत ने कहा कि उनके प्रारंभिक वर्षों में परिस्थितियों ने मिल्खा को बहुत कठिन बना दिया था। 1947 में बंटवारे के बाद मिल्खा को अपना गांव (अब पाकिस्तान में) छोड़ना पड़ा था। परमजीत ने कहा, उनका खेल करियर बहुत प्रेरणादायक है। उनमें बहुत उत्साह था और खेल उनके लिए जीवन का एक तरीका बन गया। एथलेटिक्स ने उन्हें पहचान, नाम और प्रसिद्धि दी। उन्होंने मुझसे कहा, आप जितना कठिन प्रशिक्षण लेंगे, उतना ही आप दौड़ में भाग लेंगे। --आईएएनएस ईजेडए/एएनएम

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