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वित्त मंत्रालय की इकाई का जीएसटी प्रस्ताव सभी गेमिंग कंपनियों का कर सकता है सफाया

नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)। ऑनलाइन गेमिंग पर लगाए जाने वाले जीएसटी पर चर्चा के लिए गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) की एक महत्वपूर्ण बैठक 18 मई को होगी। वित्त मंत्रालय की एक इकाई का एक विवादास्पद प्रस्ताव भारत में अधिकांश गेमिंग कंपनियों के लिए मौत की घंटी बन सकता है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग की टैक्स रिसर्च यूनिट (टीआरयू) ने सकल प्रतियोगिता प्रवेश राशि (ग्रॉस कंटेस्ट इंट्री अमाउंट) का 28-30 प्रतिशत चार्ज करने की सिफारिश की है। फिलहाल गेमिंग कंपनियां प्लेटफॉर्म फीस पर 18 फीसदी जीएसटी वसूलती हैं। उद्योग के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, वर्तमान में, फैंटेसी स्पोर्ट्स को छोड़कर, सभी प्रारूपों के लिए प्लेटफॉर्म मार्जिन 5-10 फीसदी के बीच है। शतरंज, कैरम, कार रेसिंग, फर्स्ट-पर्सन शूटर आदि जैसे खेल उपयोगकर्ता द्वारा जमा किए गए 100 रुपये के लिए लगभग 8 रुपये चार्ज करते हैं। यह गेमिंग कंपनियों के लिए राजस्व बन जाता है और शेष 92 रुपये प्रतियोगिता के विजेता को वापस कर दिए जाते हैं। इसी तरह स्किल बेस्ड कार्ड गेम के लिए प्लेटफॉर्म यूजर द्वारा दिए गए प्रत्येक 100 रुपये के लिए 5-10 रुपये चार्ज करते हैं। सूत्र ने कहा, केवल फैंटेसी खेलों में, उपयोगकर्ता द्वारा प्रदान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के लिए प्लेटफॉर्म लगभग 15 रुपये चार्ज करते हैं। इसलिए, अगर टीआरयू की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया जाता है, तो गेमिंग कंपनियों पर जीएसटी की देनदारी फैंटेसी प्लेटफॉर्म को छोड़कर गेमिंग प्लेटफॉर्म के राजस्व का 2-3 गुणा होगी। भारत में फैंटेसी गेमिंग आमतौर पर आईपीएल के दौरान चरम पर होता है। इसमें कुछ ऑपरेटरों का वर्चस्व है, जिसमें ड्रीम 11, एमपीएल और माई 11 सर्कल का बाजार का 95 प्रतिशत से अधिक नियंत्रण है। भारत में 950 से अधिक प्लेटफॉर्म हैं जो ईस्पोर्ट्स, कैजुअल गेम्स और कार्ड गेम्स की पेशकश करते हैं। गेमिंग उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार देता है। --आईएएनएस आरएचए/एसकेपी

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