पत्रकार ,अधिवक्ता और इतिहासकार राजेश्वर सिंह का निधन, शोक
पत्रकार ,अधिवक्ता और इतिहासकार राजेश्वर सिंह का निधन, शोक

पत्रकार ,अधिवक्ता और इतिहासकार राजेश्वर सिंह का निधन, शोक

सुल्तानपुर, 12 जून (हि.स.)। जिले की प्रख्यात शिक्षण संस्थान कमला नेहरू संस्थान के संस्थापक सदस्य और जाने-माने पत्रकार राजेश्वर सिंह का 84 वर्ष की उम्र निधन हो गया। उनके निधन पर पत्रकार संगठन अधिवक्ताओं और साहित्यकारों ने शोक व्यक्त करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री सिंह की पहचान जिले में वरिष्ठ अधिवक्ता, पत्रकार, इतिहासकार, कवि, उपन्यासकार और कथाकार के रूप रही है। श्री सिंह जिले के डीहढग्गूपुर गांव में शुरुआती शिक्षा प्राप्त की थी। उच्चशिक्षा के लिए कोलकाता विश्वविद्यालय गए थे। 1935 में जन्मे राजेश्वर जी 1953 से 62 तक कलकत्ते में पढ़े। वही से एम.ए.एल.एल.बी किया। स्टूडेंट फेडरेशन में सक्रिय रहे। वामपंथी आंदोलन से जुड़े। कुछ दिन वहीं डिग्री कॉलेज में पढ़ाया। विश्वमित्र दैनिक में लिखा। आचार्य विष्णु कांत शास्त्री और कल्याण मल लोढा जैसे गुरुजन की निकटता में सृजन के संस्कार पाए। सुल्तानपुर वापसी में बाबू श्रीनाथ सिंह के जूनियर बने। 1962 में ही “जनमोर्चा” दैनिक से जुड़े। पत्रकारिता के पांच दशकों के अधिक के सक्रिय जुड़ाव में सुल्तानपुर के राजनीतिक-सामाजिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक-शैक्षिक जीवन की हर धड़कन के वह गवाह हैं। इतिहास में अपनी रुचि के कारण वह लगातार अतीत में झांकते रहे। शिक्षा के उपरांत सुल्तानपुर के दीवानी न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य शुरू किया। इस दौरान कांग्रेस कार्यकाल के पूर्व केंद्रीय मंत्री केदार नाथ सिंह के नजदीकी और पारिवारिक होने के नाते कमला नेहरू संस्थान के संस्थापक सदस्य बने। पत्रकारिता में अच्छी पकड़ और अच्छा लेखन के साथ-साथ जिले की इतिहास के अच्छे जानकार मानें जाते थे। वरिष्ठ पत्रकार राजखन्ना ने बताया कि सुल्तानपुर के राजनीतिक-सामाजिक-साहित्यिक-सांस्कृतिक-शैक्षिक जीवन की हर धड़कन के वह गवाह हैं। इतिहास में अपनी रुचि के कारण वह लगातार अतीत में झांकते रहे। प्रमुख रचनाएं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सक्रियता के बीच राजेश्वर सिंह लगातार लिखते रहे हैं। बेहतरीन फीचर, खोजपूर्ण रपटों के साथ ही उन्होंने चर्चित उपन्यास 'पथरीला पथ' और 'अंतहीन पिपासा' लिखे हैं। उनका काव्य संग्रह 'काल की परत' है। उनके दिल-दिमाग में बसा सुल्तानपुर (कुशपुरी) उनकी कविता में भी शब्द श्रृंगार पाता है। हिन्दुस्थान समाचार/दयाशंकर/राजेश-hindusthansamachar.in

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