रायपुर:भाजपा आक्रामक और असरदार रणनीति की तैयारियों में,एक हजार दिनों की कार्ययोजना तैयार
पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम बड़े नेताओं की सभाओं की तैयारियां रायपुर ,9 जनवरी(हि.स.)।छत्तीसगढ़ के लिए भाजपा आक्रामक और असरदार रणनीति की तैयारियों में जुट गई है ! 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 1000 दिन की कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसमें प्रदेश से लेकर मंडल स्तर के मुद्दों पर अलग-अलग आंदोलन होंगे।प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के दौरे पर कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने उन्हें जानकारी दी है कि भाजपा के कई पूर्व मंत्री मौजूदा कांग्रेस की भूपेश सरकार के साथ तालमेल के साथ कार्य कर रहे हैं। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। खनन और शराब माफिया को लेकर विधानसभा में भाजपा कभी भी आक्रमक नहीं रही। भाजपा के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक को लेकर जमकर शिकायतें की गई है। वहीं एक अन्य पूर्व मंत्री की एकला चलो की नीति को लेकर भी प्रश्न खड़े किए गए हैं। इसे लेकर संगठन गंभीर है और शीघ्र ही इस विषय पर गंभीर निर्देश दिए जा सकते हैं। भाजपा का आम कार्यकर्ता यह मानने लगा है कि संगठन पर एक वर्ग विशेष का ही कब्जा हो गया है। जो भाजपा के राजसी कार्यालय को ही अपनी उपलब्धि बता रहा है। मैदानी स्तर पर कहीं कोई आंदोलन नहीं खड़ा हो पा रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इन शिकायतों को दूर करने के साथ-साथ अब पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम बड़े नेताओं की सभाओं की तैयारियां की जा रही है। इसकी शुरुआत राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के छत्तीसगढ़ दौरे से होगी। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर हर कार्यकर्ता स्तर के काम की मॉनिटरिंग की जाएगी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के दो साल पूरे होने के बाद अब भाजपा सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ेगी। हालांकि इसे लेकर भाजपा में ही दो तरह की बातें थीं। एक वर्ग हर छोटे-बड़े मुद्दों पर त्वरित आंदोलन-प्रदर्शन के मूड में था ।जबकि दूसरा वर्ग किसान, कर्मचारियों, महिलाओं, युवाओं के आंदोलन और उनकी लड़ाई में शामिल होने के पक्ष में था। प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नवीन ने दूसरे दौरे में ही यह स्पष्ट कर दिया कि भाजपा अब सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी। कोर ग्रुप की बैठक करके एक हजार दिनों की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। विपक्षी पार्टी होने के कारण युवा मोर्चा को बड़ी जिम्मेदारी होगी। इसके लिए एक बूथ-20 यूथ का फॉर्मूला तय किया गया है। इसे कमल वाहिनी नाम दिया गया है। युवाओं की फौज को आंदोलन के लिए आगे किया जाएगा। यही वजह है कि ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को मौका देने के लिए 35 वर्ष की अधिकतम उम्र सीमा तय की गई है। इसके बाद किसान और महिला मोर्चा की भूमिका रहेगी। राज्य सरकार पहले दिन से ही किसानों को आगे रखकर काम कर रही है, इसलिए किसानों से जुड़े हर मुद्दे पर लगातार उग्र आंदोलन और प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। हिन्दुस्थान समाचार /केशव-hindusthansamachar.in