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रायपुर : सभी गौठानों में सुनिश्चित हो हरे चारे की उपलब्धता : भूपेश बघेल

रायपुर, 26 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में बनाए गए गौठानों में पशुओं के लिए हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्ययोजना बनाकर काम करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि गौठानों में चारागाह के लिए आरक्षित भूमि पर अनिवार्य रूप से नेपियर घास लगाई जाए। इसी तरह वन विभाग वनों में घास लगाने का काम सर्वाेच्च प्राथमिकता से करे और यह भी सुनिश्चित करे कि वनों से हरा चारा गौठानों तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने गौठानों में चारे के साथ, मवेशियों के लिए पानी और शेड बनाने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शनिवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में गोधन न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, लघु वनोपज, फलदार और औषधीय पौधों का रोपण, प्रसंस्करण, विपणन और सड़क किनारे वृक्षारोपण की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि एक जुलाई को गांवों में रोका छेका का आयोजन किया जाए, जो गौठान समितियां सक्रिय नहीं है, उनका पुनर्गठन किया जाए, विकासखण्ड स्तर पर गौठान समितियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए और जो गौठान अधूरे है, उन्हें प्राथमिकता से पूरा किया जाए। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव शिशुपाल शोरी, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज कुमार पिंगुआ, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ एम. गीता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, विशेष सचिव कृषि डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक कृषि यशवंत कुमार, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसके पाटिल बैठक में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में हरे चारे का उत्पादन, वनों से गौठानों तक हरा चारा पहुंचाने और चारे की कटाई की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। हरा चारा उपलब्ध होने से मवेशी गौठानों में जाएंगे, चारा मिलने से दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि नेपियर घास के बीज, सिंचाई और मनरेगा से रोपाई की व्यवस्था की जाए। यह भी ध्यान रखा जाए कि चारागाह में काम करने वालों की आय बाड़ी या गौठान में काम कर रहे दूसरे स्व-सहायता समूहों से कम न हो। बैठक में जानकारी दी गई कि गौठानों में स्व-सहायता समूहों द्वारा लगभग छह लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और दो लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है। इसमें से तीन लाख 56 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और 32 हजार 656 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है। प्रदेश में 10 हजार 57 गौठानों की स्वीकृति दी गई है, जिनमें पांच हजार 820 गौठान सक्रिय है। बघेल ने कहा कि गौठानों को स्वावलंबी बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाए। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत खरीदे जाने वाले गोबर, उससे बनाई जा रही वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट तथा इनके विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि का हिसाब रखें। हिन्दुस्थान समाचार/ गायत्री प्रसाद

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