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रायपुर- चुनौतियों से भरा रहा पढ़ई तुंहर दुआर, फिर भी दे गया अमिट छाप

रायपुर, 07 अप्रैल (हि.स.)। गत वर्ष इसी दिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना पढ़ई तुंहर दुआर का शुभारंभ किया गया। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के सफल निर्देशन में कार्यक्रम संचालित किया गया। एक वो दिन था और एक आज का दिन। इस एक साल में भले ही दुनिया के चारों ओर कोरोना पर हाहाकार मचा है, पर दूसरी ओर छत्तीसगढ़ प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में कई परचम लहराये जो, शिक्षण क्षेत्र से जुड़े सभी कर्मठ अधिकारीगण तथा शिक्षकों की मेहनत से ही संभव हो पाया है। छत्तीसगढ़ ही नहीं भारत के अन्य राज्यों में भी इसकी तारीफ की जा रही है। हाल ही में इस योजना को ई-गवर्नेंस अवार्ड कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान किया गया है। ज्ञातव्य है कि 25 मार्च 2020 से कोविड महामारी की वजह से स्कूलों को बंद किया गया था जिससे बच्चाें के सीखने की सतत प्रक्रिया बहुत अधिक प्रभावित हुई। कोविड-19 के चलते प्रदेश में लॉकडाउन में सबसे बड़ी चुनौती थी की बच्चों को सीखने की सतत प्रक्रिया के अवसर बराबर जारी रहें, एवं सुनिश्चित करना की विद्यालय बंद होने के कारण बच्चों के सीखने के स्तर में गिरावट नही आएं तथा ड्रापऑउट अनुपात न बढ़ें। यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में इस महत्वपूर्ण कार्य की नींव रखी गई। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के निर्देशन पर इस कार्यक्रम को स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कार्यालयों के बंद होने की स्थिति में अपने निवास पर एन.आई.सी. और विभाग की टीम के साथ बहुत ही कम लागत में बिना किसी बाहरी एजेंसी की सहायता लिए पूरी तरह विभागीय संसाधनों से सीजीस्कूलडॉटइन पोर्टल का निर्माण किया। वालेंटियर शिक्षक द्वारा नई व्यवस्था में छात्रों को जागरूक एवं साथ लेते हुए इस पोर्टल में एक माह के भीतर 2.2 मिलियन छात्र पंजीकृत किये गए एवं मिशन मोड पर कैम्पन चलाया गया। पोर्टल में शिक्षकों द्वारा पाठ्यक्रम व विषयवस्तु से संबंधित छात्रों के लिए उच्च कोटि शिक्षण सामग्री निर्माण कर पोर्टल में अपलोड किया गया, जो न ही प्रासंगिक था अपितु जिसमें रोचकता का भी समावेश था। इस परिपेक्ष्य में जुगाड़ स्टूडियों द्वारा 30 हजार विडियों, आडियों, वर्कशीट एवं डिजीटल रिसोर्ससेस का निर्माण कर जीरों बजट में घर से ही शिक्षकों द्वारा स्मार्ट फोन का इस्तमाल कर पॉवर पाइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अतुलनीय सीखने की प्रक्रिया को सतत जारी रखा गया है। इसी कड़ी में शिक्षकों द्वारा सहायक शिक्षण सामग्री निर्माण, बच्चों तक अपनी बात पाठ्यक्रम अनुसार पहुंचाना, कक्षागत प्रबंधन कर वर्चुअल मोड में भी निरंतर सीखने की प्रक्रिया को जारी रखा गया। हिन्दुस्थान समाचार/ गायत्री प्रसाद

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