जीवन व राष्ट्र को महान बनाने के लिए ऋषि प्रदत्त ज्ञान जरूरीः परमार्थ देव
जीवन व राष्ट्र को महान बनाने के लिए ऋषि प्रदत्त ज्ञान जरूरीः परमार्थ देव

जीवन व राष्ट्र को महान बनाने के लिए ऋषि प्रदत्त ज्ञान जरूरीः परमार्थ देव

हरिद्वार, 18 जून (हि.स.)। पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित योग सप्ताह के चौथे दिन स्वामी परमार्थदेव ने मानव जीवन के कल्याण एवं राष्ट्र को महान् बनाने के लिए ऋषियों द्वारा दिये गये ज्ञान को आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल देते हुए अखण्ड-प्रचण्ड पुरुषार्थ एवं विकल्प रहित संकल्प को अपने जीवन में अपनाने की सलाह दी। वैदिक जीवन पद्धति को पूर्ण वैज्ञानिक पद्धति बताते हुए स्वामी ने मोह-माया, अभ्यास-वैराग्य व संसार से लेकर संस्कार की व्याख्या प्रेरणादायी भजन के माध्यम से की। दूसरे सत्र में भारत स्वाभिमान एवं पतंजलि योग समिति के केन्द्रीय प्रभारी डॉ. जयदीप आर्य ने जीवन कल्याण के लिए अष्टांग योग विषय पर अपने विचार रखते हुए महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के आठों चरणों की व्यावहारिक एवं लोकोपयोगी व्याख्या प्रस्तुत की। पतंजलि योगपीठ के षट्कर्म चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान के प्रभारी डॉ. सचिन त्यागी ने षट्कर्म की एक सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान के रूप में व्याख्या की। नेति, धौति, बस्ति, नौलि, त्रटक एवं कपालभाति की प्रामाणिक व्याख्या करते हुए उन्होंने सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए शरीरगत् दस प्राणों का स्वस्थ होना आवश्यक बताया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत-hindusthansamachar.in

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