हरिराम आचार्य की कृतियों में सामाजिक संदेश की शैली है : दयानंद भार्गव
हरिराम आचार्य की कृतियों में सामाजिक संदेश की शैली है : दयानंद भार्गव

हरिराम आचार्य की कृतियों में सामाजिक संदेश की शैली है : दयानंद भार्गव

नई दिल्ली, 24 दिसम्बर (हि.स.)। साहित्य अकादेमी की वेबलाइन साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत गुरुवार को संस्कृत भाषा में "हरिराम आचार्य के संस्कृत कवित्व का मूल्यांकन" विषय पर परिसंवाद आयोजित किया गया। साहित्य अकादेमी के सचिव डाॅ. के. श्रीनिवासराव ने उद्घाटन सत्र में कहा कि हरिराम आचार्य ने संस्कृत भाषा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि संप्रदायिक विषयों को लेकर सामाजिक विषयों से जुड़कर कविता में अभिव्यक्त करना हरिराम आचार्य की कवित्व शैली है। प्रख्यात संस्कृत साहित्यकार दयानंद भार्गव ने कहा कि हरिराम आचार्य की कृतियों में वास्तविकता, सामाजिक संदेश, नव-नवोन्मेष कवित्व शैली दिखाई देती है। साहित्य अकादेमी के संस्कृत परामर्श मंडल के संयोजक प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्रा ने कहा कि हरिराम आचार्य प्राचीन काव्य मर्यादाओं को सम्मानित करते हुए आधुनिक संस्कृत साहित्य में कवि, गीतकार और नाटककार के रूप में विराजित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि हरिराम आचार्य ने अपने व्यक्तित्व से काव्य विभूति को बढ़ा दिया और हिंदी, राजस्थानी भाषाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। साहित्य अकादेमी संस्कृत परामर्शमंडल के सदस्य आचार्य रमाकांत पांडेय ने कहा कि हरिराम आचार्य संस्कृत कतित्व की हर विधा में अनेक लोक प्रशंसनीय पुस्तकें लिख चुके हैं और संस्कृत प्रवक्ता के रूप में शिष्य वत्सल बन गए हैं। इस कारण हरिराम आचार्य के नाम से ‘स्मृति सम्मान’ की स्थापना की गई। उद्घाटन सत्र के बाद पत्र समर्पण सत्र संपंन हुआ। इस सत्र में प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र की अध्यक्षता में चार साहित्कारों प्रो. लक्ष्मी शर्मा, प्रो. सुनीता शर्मा, प्रो. सुषमा सिंघवी और हरिराम आचार्य की पुत्री भावना आचार्य ने अपने-अपने उल्लेखनीय आलेख पत्र प्रस्तुत किए। प्रस्तुत आलेख पत्रों में हरिराम आचार्य के जीवन और साहित्यिक यात्रा के हर पहलू पर चर्चा की गई। हिन्दुस्थान समाचार/ पवन/रामानुज-hindusthansamachar.in

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