हमीरपुर में मौरंग खनन से बेतवा नदी के अस्तित्व पर मंडराया खतरा, जलधारा भी विलुप्त
-मशीनों से दिन-रात मौरंग खनन से जीवनदायिनी बेतवा नदी अब नाले में तब्दील हमीरपुर, 11 दिसम्बर (हि.स.)। सरीला क्षेत्र में मौरंग खनन से जीवनदायिनी बेतवा नदी पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। इस नदी की कई जगहों पर जलधारा ही विलुप्त हो गयी है वहीं दिनरात मशीनों से अवैध खनन होने से ये नदी भी अब नाले में तब्दील हो गयी है। क्षेत्र के लोग अब पैदल ही नदी से आरपार हो रहे हैं। कभी किसानों की फसलों को भरपूर पानी देने वाली इस नदी का स्वरूप एक पतली नाली सा दिख रहा है। यह हालात अचानक नहीं हुए बल्कि लगातार हो रहे मौरंग खनन ने इनके अस्तित्व पर खतरा पैदा कर दिया है। वहीं चंडौत गांव में बेतवा पुल के पास एक समय था जब नदी के दोनों पाट पानी से लबालब भरे रहते थे और आज सिर्फ एक नाली के रूप में दिखाई देती है। जिसका कारण सिर्फ जगह-जगह खनन जिले और गैर जिले में मौरंग निकासी का काम बेतवा में ही होता है। जहां खनन होता है वहां नदी में गहरा गड्ढा हो जाता है। इसी कारण नदी की धारा तेज नहीं हो पाती। पानी एक स्थान पर भर जाता है। यही अगर लेवल बराबर हो तो पानी का बहाव तेज हो और लगातार प्रवाहित भी होता रहे। मौरंग माफियाओं ने नदियों की कोख खाली कर दी। नदियों से इतना खिलवाड़ किया गया कि जिले की जीवन धारा कहलाने वाली नदियों का ही जीवन खतरे में पहुंच गया। जिले में नदियों के सामने अब उनके जीवन को बचाए रखने का प्रश्न खड़ा हो चुका है। बेतवा नदी की धारा नालों में बदल गई। गंदगी व बालू के अवैध खनन से नदियों के जीवन पर खराब असर पड़ा। शहरवासियों और ग्रामवासियों की प्यास बेतवा नदी से बुझाई जाती है। लबालब पानी से भरी रहने वाली नदियों में अब नाव की आवश्यकता नहीं है। बच्चे तक बिना नाव के नदी के इस पार से उस पार आराम से चले जाते हैं। मौरंग माफियाओं ने नदियों के साथ इतना खिलवाड़ किया कि इनका स्वरूप बिगड़ गया। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जिला एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाएगा और रेगिस्तान बन जाएगी बुंदेलखंड की धरती। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेष-hindusthansamachar.in