हग्रामा को बड़ा झटका, बीपीएफ के कार्यकारी अध्यक्ष व रास सांसद दैमारी ने छोड़ी पार्टी
हग्रामा को बड़ा झटका, बीपीएफ के कार्यकारी अध्यक्ष व रास सांसद दैमारी ने छोड़ी पार्टी

हग्रामा को बड़ा झटका, बीपीएफ के कार्यकारी अध्यक्ष व रास सांसद दैमारी ने छोड़ी पार्टी

गुवाहाटी, 11 नवम्बर (हि.स)। बोड़ोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के चुनावों से ठीक पहले बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के अध्यक्ष हग्रामा महिलारी को बड़ा झटका लगा है। बीपीएफ के कार्यकारी अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद बिश्वजीत दैमारी ने बुधवार को पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने आज ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि दैमारी बीपीएफ छोड़ राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा में जा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक इसको लेकर कोई बयान नहीं दिया है। दैमारी का बीटीसी चुनावों से ठीक पूर्व पार्टी को छोड़ना बीटीसी की राजनीति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में बीटीसी परिषदीय चुनाव होने जा रहा है। अब तक राज्य के प्रभावशाली मंत्री डॉ हिमंत विश्वशर्मा परिषदीय चुनावों के मद्देनजर भाजपा की आयोजित चुनावी सभाओं में हिस्सा लेते हुए दावा कर रहे हैं कि इस बार के परिषद चुनाव में भाजपा सत्ता हासिल करेगी। सूत्रों का कहना है कि बीपीएफ से त्याग पत्र देने वाले बिश्वजीत दैमारी को भाजपा बीटीसी के मुख्य कार्यकारी पार्षद के रूप में पेश कर सकती है। इसको लेकर चर्चा जोरों पर है। बिश्वजीत दैमारी ने राज्यसभा के पद से भी इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि संसदीय कामकाज समाप्त करने के पश्चात वे अपने राज्यसभा के पद से भी इस्तीफा देंगे। सांसद की घोषणा के बाद से ही यह कयास लगाये जा रहे हैं कि दैमारी को बीटीसी परिषदीय चुनाव में मुख्य कार्यकारी पदाधकारी के रूप में भाजपा की ओर से पेश किया जा सकता है। वहीं दैमारी द्वारा पद त्याग के बाद बीपीएफ के लिए बड़े खतरे की घंटी के रूप में देखा जा रहा है। दैमारी ने गुवाहाटी के एक होटल में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में बोड़ो जाति की कोई समस्या अब नहीं है, मैं यह नहीं मानता। अभी और काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ बटीसी या असम के अंदर काम करने से नहीं चलने वाला है। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए हमें काम करना होगा। इसलिए मैं राष्ट्रीय पार्टी के साथ जुड़ने की सोच रहा हूं। उन्होंने कहा कि बीपीएफ के किसी भी कार्यकर्ता से मुझे कोई परेशानी नहीं है। अपनी नयी यात्रा को उन्होंने स्कूल से विश्वविद्यालय में जाने के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि बीपीएफ और भाजपा के बीच आज जो परिस्थिति उपजी है, उसके मद्देनजर मित्रता रहे या नहीं एक ही बात है। उन्होंने कहा कि बीटीसी इलाके में भूमि अधिकार को लेकर असमिया भाषा बीटीसी इलाके में बहाल रहेगी या नहीं, इसे लेकर शंका है। इन शंकाओं को दूर करने के लिए काम करना होगा। बोड़ो-गैर बोड़ो लोगों के बीच संघर्ष की बातें कही जाती है। इस लिहाज से बीटीसी इलाके में काफी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को बीपीएफ में रहते हुए करने में परेशानी है। हिन्दुस्थान समाचार/अऱविंद/बच्चन-hindusthansamachar.in

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