समाज की विकृतियां दूर करने को अब परिवार व्यवस्था सुदृढ़ करेगा संघ
समाज की विकृतियां दूर करने को अब परिवार व्यवस्था सुदृढ़ करेगा संघ

समाज की विकृतियां दूर करने को अब परिवार व्यवस्था सुदृढ़ करेगा संघ

- पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और कुटुम्ब प्रबोधन पर कार्य करने का आह्वान - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक का समापन पीएन द्विवेदी प्रयागराज, 23 नवम्बर (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की बैठक का सोमवार को समापन हो गया। इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने संघ के स्वयंसेवकों को सज्जनशक्ति से संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल पूर्वी उत्तर प्रदेश की बैठक रविवार को प्रयागराज के जमुनापार में गौहनिया स्थित वशिष्ठ वात्सल्य स्कूल में शुरू हुई थी। समापन सत्र को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना संकटकाल में संघ के स्वयंसेवकों के अलावा समाज के जिन लोगों ने आगे आकर सेवा की है। हमें ऐसी सज्जनशक्ति को अपने संपर्क में लाने की आवश्यकता है। सरसंघचालक पहले के प्रवासों में भी मंदिर, जल स्रोत व शमशान घाट सबके लिए खुले होने और पर्यावरण संरक्षण के लिए जल जंगल जमीन को प्रदूषित होने से बचाने का आह्वान करते रहे हैं। आज के संबोधन में भी उन्होंने इन विषयों पर बल देते हुए सज्जन लोगों से संपर्क बढ़ाने का आह्वान किया। संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने कुटुम्ब प्रबोधन पर कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि मातृशक्ति का सम्मान करने का स्वभाव परिवार के प्रत्येक सदस्य में आना चाहिए। आज परिवार टूट रहे हैं। इसकी वजह से तमाम विकृतियां समाज में आ रही हैं। इसलिए परिवार व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता है। सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने व्यवसायी स्वयंसेवकों को सक्रिय किये जाने के बारे में मार्गदर्शन किया। सह सरकार्यवाह मुकुंद ने युवा कार्यकर्ता विकास योजना से संबंधित विषय रखा। सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने समाज की उत्सुक शक्ति को अपने समीप कैसे लाया जाय इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि समाज संघ के साथ कार्य करने को उत्सुक है। बैठक में जहां पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और कुटुम्ब प्रबोधन पर कार्य करने का आह्वान किया गया। संघकार्य की वर्तमान कार्य की समीक्षा के साथ आगामी कार्यक्रमों पर विचार भी किया गया। दो दिवसीय बैठक में कोरोना काल में सेवा कार्यों के कौन-कौन से प्रयोग किए गए। ऐसे ही शाखा कार्य में कौन कौन से नए प्रयोग हुए, इन पर भी विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही यह विचार किया गया कि लाकडाउन में जिन संस्थाओं, नागरिकों, अधिकारियों, डॉक्टर्स, सफाई कर्मियों ने श्रेष्ठ भूमिकाएं निभाई उनके साथ सम्पर्क की योजना पर ध्यान दिया जाए। बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल व सह सरकार्यवाह मुकुन्द के साथ संघ के तीन अखिल भारतीय अधिकारी बालकृष्ण त्रिपाठी, अनिल ओक और अजीत महापात्रा उपस्थित रहे। इस बैठक में अवध प्रान्त, कानपुर प्रान्त, गोरक्ष व काशी प्रान्त के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल के सदस्य उपस्थित रहे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्य पद्धति में प्रतिवर्ष दीपावली के समीप संघ अपने अखिल भारतीय कार्यकारी की बैठक नियमित रुप से करता है। इस बैठक में अपने नित्य प्रति चल रहे कार्यों की समीक्षा व आगामी कार्यों की योजना तैयार करता है। इस बैठक में क्षेत्र और प्रांत संघचालक, कार्यवाह, प्रचारक और अखिल भारतीय दायित्व वाले पदाधिकारी समेत लगभग 350 कार्यकर्ता उपस्थित रहते हैं लेकिन कोरोना संकट के कारण संघ ने इस वर्ष इस बैठक को राष्ट्रीय स्तर पर न करके क्षेत्र अनुसार आयोजित करने की योजना बनाई है। इसके लिए पूरे देश को 11 क्षेत्रों में बांटा गया है। इसी क्रम में 18 और 19 नवम्बर को गाजियाबाद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की बैठक आयोजित हुई। इसके बाद 22 व 23 नवम्बर को पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार प्रांतों की बैठक प्रयागराज में हुई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी रविवार शाम को संघ की बैठक में शामिल हुए थे। इस दौरान योगी ने संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत एवं अन्य प्रमुख पदाधिकारियों से मिलकर उनसे समसामयिक विषयों पर चर्चा भी की थी। कार्यक्रम स्थल रहा पर्यावरण के अनुकूल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल पूर्वी उत्तर प्रदेश की बैठक के माध्यम से भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। तीर्थराज प्रयाग के गौहनिया में चली दो दिवसीय बैठक में कार्यक्रम स्थल, वशिष्ठ वात्सल्य स्कूल को भी पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया था। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से कार्यक्रम स्थल को प्लास्टिक मुक्त किया गया था। इस दौरान भोजन, जलपान एवं पानी के लिए अन्य बर्तनों का उपयोग किया गया। परिसर का प्लास्टिक मुक्त कार्यक्रम जहां संघ की कथनी व करनी की एकरुपता को सिद्ध किया। समाज को यह संदेश भी देने में सफल रहा कि निजी व सार्वजनिक कार्यक्रमों में पर्यावरण के अनुरुप व्यवहार करना ही लाभदायक है। दरअसल, संघ पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरे देश में लगातार अभियान चलाता रहता है। ऐसे में संघ ने बैठक के लिए भी जिस स्थल का चयन किया वहां भी पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान रखा गया। पूरा परिसर वृक्षों, वनस्पतियों और सुवासित पुष्पों की क्यारियों से सुसज्जित है। कार्यक्रम के लिए बने मंच पर और आस-पास कहीं भी बैनर या साज सज्जा में भी प्लास्टिक का प्रयोग नहीं किया गया था। संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी का कहना है कि आरएसएस कथनी और करनी में एकरूपता को प्रदर्शित करता है। वह जो संदेश देता है उसका पालन अपने कार्यक्रमों में भी करता है। उन्होंने कहा कि निजी और सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्लास्टिक के स्थान पर मिट्टी के बर्तनों और पत्तलों का ही प्रयोग करना चाहिए। यह पर्यावरण के लिए हितकर होता है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in