श्रमिकों के मन में नए जोश और उत्साह का संचार कर रहा है आत्मनिर्भर भारत अभियान
श्रमिकों के मन में नए जोश और उत्साह का संचार कर रहा है आत्मनिर्भर भारत अभियान

श्रमिकों के मन में नए जोश और उत्साह का संचार कर रहा है आत्मनिर्भर भारत अभियान

बेगूसराय, 12 अगस्त (हि.स.)। वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया की व्यवस्था को ही पलट कर रख दिया है। अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी है, रोजगार के लिए लोग मारामारी कर रहे हैं। कोरोना काल ने हर वर्ग को हैरान परेशान कर दिया है। लेकिन इन्हीं हैरानी और परेशानी को दूर करने के लिए शुरू की गई केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आत्मनिर्भर भारत और गरीब कल्याण रोजगार अभियान एक नई आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि तैयार करने को बेताब है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत सभी श्रमिकों को गांव में रोजगार दिलाने के लिए भारत सरकार के 12 महत्वपूर्ण मंत्रालय लगातार काम कर रहे हैं। गांव की आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए, श्रमिकों को गांव में ही रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए-नए इनोवेशन हो रहे हैं। देश के विभिन्न शहरों से घर भाग कर आए श्रमिकों का स्किल मैपिंग किया गया है। इस स्किल मैपिंग के आधार पर उन्हें मनरेगा, प्लंबर, राजमिस्त्री, सिलाई, रेडीमेड वस्त्र निर्माण, मशीनरी आदि के अलग-अलग कार्यों में लगाया जा रहा है। स्वच्छता अभियान को भी गति दी जा रही है, सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाए जा रहे हैं। पंचायतों में सरकार भवन का निर्माण हो रहा है, ध्वस्त हो चुके संरचना ठीक किए जा रहे हैं। पशु शेड और पौधशाला बनाया जा रहा है, प्रधान मंत्री ऊर्जा गंगा प्रोजेक्ट और प्रधानमंत्री ऊर्जा कुसुम योजना के तहत भी कार्यारंभ किए गए हैं। हर पंचायत को बीएसएनएल के ऑप्टिकल फाइबर और हॉटस्पॉट से जोड़ने के लिए श्रमिकों को लगाया गया है। परदेस से आए श्रमिक ना केवल विभिन्न सरकारी योजना के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को दुरुस्त कर रहे हैं। बल्कि बड़े पैमाने पर स्वरोजगार का सृजन किया जा रहा है। किसानों को नई तकनीक दी जा रही है, मुर्गी पालन, अगरबत्ती निर्माण, मधुमक्खी पालन के माध्यम से भी रोजगार सृजित किए जा रहे हैं। इन रोजगार के श्रृंखला से ग्रामीण श्रमिकों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। वह अर्थव्यवस्था को एक नए आयाम की ओर ले जाएंगे। आपदा को अवसर में बदलने की इस कड़ी में चीन की तरह कलस्टर निर्माण कर छोटे-छोटे उद्योगों का बड़ा समूह तैयार किया जा रहा है। इन समूहों के निर्माण से एक ओर श्रमिक आत्मनिर्भर होंगे, आर्थिक रूप से सुदृढ़ होंगे, तो दूसरी ओर बिहार के बाजारों में आयातित होने वाले वस्तुएं की आयात मांग घटेगी। स्थानीय आपूर्तिकर्ता की डिमांड बढ़ेगी तो बाजार भी आत्मनिर्भर होगा। कलस्टर डेवलपमेंट के लिए 20 से 25 लोगों का ग्रुप बनाकर प्रशासन उन्हें कच्चा माल और बाजार उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है। इससे अधिक से अधिक रोजगार क्रिएट होगा, कलस्टर में बैग बनाए जाएंगे और बैग का नाम होगा कोविड-19। यह बैग खरीदने वालों को बैग के साथ-साथ मास्क और सैनिटाइजर भी उपलब्ध कराया जाएगा। सभी बैग में मास्क और सेनीटाइजर उपलब्ध रहेंगे तो मास्क निर्माण से जुड़ी जीविका दीदी को फायदा होगा, सैनिटाइजर निर्माण से जुड़े श्रमिकों को फायदा होगा और बैग बनाने वाले कारीगरों का भी मनोबल ऊंचा होगा। गांव में इतने व्यापक पैमाने पर रोजगारों के श्रृंखला सृजन से परदेस में रह रहे श्रमिकों के मन में एक नए उत्साह का संचार हुआ है और वह सब उत्साहित होकर लगातार घर की ओर आ रहे हैं। बुधवार की सुबह दिल्ली एवं कोलकाता से बड़ी संख्या में श्रमिक अपने गांव आए हैं। बेगूसराय स्टेशन पर बातचीत के दौरान श्रमिक राम मोहन, विनय तांती, भैरव तांती आदि ने बताया कि मोबाइल के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान शुरू होने की जानकारी मिली है। इसके तहत बड़े पैमाने पर काम उपलब्ध कराए जा रहे हैं, मनरेगा के तहत मजदूरी ही बढ़ाई गई है तो अब हम लोगों के मन में एक नई आशा का संचार हुआ है। राहत मिली है कि अब काम के लिए परदेस जाकर जलालत नहीं झेलनी होगी, अब बिहारी शब्द सुनने को नहीं मिलेगा। अब हमारे मजबूरी का फायदा उद्योगपति नहीं उठाएंगे। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने हम गरीबों के लिए जितना सोचा है वह हम सबको एक नई दिशा और दशा देगा। अब हम गांव में ही रह कर रोजगार करने के लिए परदेस से सब कुछ छोड़ कर आ गए हैं, अब नहीं जाएंगे किसी भी हालत में परदेस। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र-hindusthansamachar.in

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