वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता जरूरी, अन्य देश करें इस प्रयास में भागीदारी : प्रधानमंत्री
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता जरूरी, अन्य देश करें इस प्रयास में भागीदारी : प्रधानमंत्री

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता जरूरी, अन्य देश करें इस प्रयास में भागीदारी : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 28 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को भारत-डेनमार्क के साथ वर्चुअल शिखर सम्मेलन में कहा कि कोरोना के कालखंड ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि एक स्रोत पर निर्भर रहना ठीक नहीं और आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना आवश्यक है। भारत इस संदर्भ में जापान और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर काम कर रहा है। मोदी ने कहा, “कोरोना महामारी ने दिखाया है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का किसी भी एक स्रोत पर अत्यधिक निर्भर होना खतरनाक है। भारत जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिल कर सप्लाई-चेन को विविध और लचीलापन बनाने के लिए काम कर रहा है। अन्य समान सोच के देश भी इस प्रयत्न में जुड़ सकते हैं।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडेरिकसन के साथ आयोजित शिखर सम्मेलन में अपने शुरूआती भाषण में कहा कि पिछले कई महीनों की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नियम आधारित, पारदर्शी, मानव केन्द्रित और लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करने वाले समान सोच के देशों का साथ मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री को उनकी हाल ही में हुई शादी पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले फ़ोन पर उनके साथ बहुत उत्पादक बातचीत हुई। हमने कई क्षेत्रों में भारत और डेनमार्क के बीच सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की थी। यह प्रसन्नता का विषय है कि आज हम इस वर्चुअल सम्मेलन के माध्यम से इन इरादों को नई दिशा और गति दे रहे हैं। दूसरी ओर अपने शुरूआती भाषण में डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट्टे फ्रेडेरिकसन ने कहा कि दोनों देशों के बीच 400 सालों से संबंध रहे हैं और इस उपलक्ष में वर्ष के अंत में एक वर्जुअल कार्यक्रम भी किया जा रहा है। उन्हें लगता है कि यह सम्मेलन दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को उनके हाल ही में बीते जन्मदिन की भी शुभकामनायें दी। उन्होंने भारत में हुई कोरोना महामारी से मौंतों पर दुख जताते हुए कहा कि भारत इस समय कठिन दौर से गुजर रहा है। कोरोना एक गंभीर चुनौती है जिससे निपटने के लिए वैश्विक सहयोग जरूरी है। समान सोच वाले देशों का आगे आकर इससे निपटने के लिए काम करना होगा। उनका विश्वास है कि मिलकर जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी जैसे संकटों से निपटा जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/अनूप-hindusthansamachar.in

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