वायुसेना ने पांच गुना महंगे खरीदे यूएवी इंजन : कैग
वायुसेना ने पांच गुना महंगे खरीदे यूएवी इंजन : कैग

वायुसेना ने पांच गुना महंगे खरीदे यूएवी इंजन : कैग

-कैग ने वायुसेना और इजरायली कंपनी को धांधली के लिए जिम्मेदार ठहराया -महंगे सौदे के विपरीत घटिया एयरो इंजनों की हुई आपूर्ति, जांच की सिफारिश नई दिल्ली, 24 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय वायुसेना के लिए मानवरहित एयरो वाहनों के लिए यूएवी रोटैक्स इंजनों की खरीद में धांधली होने का खुलासा भारत के सरकारी लेखा परीक्षक (कैग) ने किया है। संसद में पेश रिपोर्ट में इस वित्तीय नुकसान के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और इजरायली कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच की सिफारिश की गई है। इतना ही नहीं महंगे सौदे के विपरीत घटिया इंजनों की आपूर्ति किये जाने की वजह से दुर्घटनाएं भी हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना ने मार्च 2010 में मेसर्स इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ 87.45 लाख रुपये प्रति इंजन के हिसाब से पांच 914एफ (प्रमाणित) यूएवी रोटैक्स इंजनों की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध किया। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) ने अप्रैल 2012 में 24.30 लाख रुपये प्रति इंजन की खरीद की थी। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस इंजन की औसत कीमत 21 लाख रुपये से 25 लाख रुपये के बीच है। कैग ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप इजराइली कंपनी को 3.16 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ हुआ क्योंकि इससे बाजार मूल्य या डीआरडीओ इकाई को दी जाने वाली कीमत से पांच गुना अधिक कीमत पर यूएवी इंजनों की आपूर्ति हुई। ऑडिट रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इजराइली कंपनी ने सौदे के मुताबिक प्रमाणित इंजनों के बजाय भारतीय वायुसेना को अप्रमाणित इंजनों की आपूर्ति की। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक उड़ान दुर्घटना में एक यूएवी के नुकसान सहित इन अप्रमाणित इंजनों की वजह से कई दुर्घटनाएं हुईं हैं। ऑडिटर ने गलत इंजन आपूर्ति मामले की जांच करने के लिए सिफारिश की है। इस वित्तीय नुकसान के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और इजरायली कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हुए जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच की सिफारिश की गई है। इसी वजह से महंगे सौदे के विपरीत घटिया इंजनों की आपूर्ति किये जाने की वजह से दुर्घटनाएं भी हुई हैं। कैग रिपोर्ट में रूसी एमआई-17 हेलीकाप्टरों को अपग्रेड करने के मामले में भी लापरवाही बरते जाने की जानकारी दी गई है। दरअसल एमआई-17 हेलीकाप्टरों को अपग्रेड करने के लिए 2002 में वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने प्रस्ताव रखा था। मंत्रालय की योजना में ढिलाई और अनिर्णय के कारण इस बारे में 15 साल तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका। रक्षा मंत्रालय ने जनवरी, 2017 में 90 एम-17 हेलीकाप्टरों का उन्नयन करने के लिए इजरायल की कंपनी के साथ अनुबंध किया है। नतीजतन ये हेलीकॉप्टर 18 साल से परिचालन तैयारियों से समझौता करके सीमित उड़ान भर रहे हैं। रिपोर्ट में आपत्ति जताई गई है कि आखिर एमआई-17 हेलीकाप्टरों को अपग्रेड करने के लिए इजराइली कंपनी से अनुबंध करने में 15 साल का समय क्यों लगा। इतना ही नहीं सीएजी ने कहा कि अनुबंध के मुताबिक इन हेलीकॉप्टरों को अपग्रेड करने का कार्य जुलाई 2018 से शुरू होकर 2024 तक पूरा होना था। दो साल के भीतर 90 हेलीकॉप्टरों में से 56 का उन्नयन करने के बाद सौंप दिया जाना था और बाकी 34 हेलीकॉप्टरों को 2024 तक चरणबद्ध तरीके से अपग्रेड किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत-hindusthansamachar.in

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