लद्दाख में सेना ने कमांडर बदला, चीन से करेंगे वार्ता
लद्दाख में सेना ने कमांडर बदला, चीन से करेंगे वार्ता

लद्दाख में सेना ने कमांडर बदला, चीन से करेंगे वार्ता

- सेना मुख्यालय से लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन बनाये गए नए कमांडर - अब तक रहे लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भेजे गए आईएमए देहरादून - चीन से अब तक हुईं छह दौर की सैन्य वार्ता जनरल हरिंदर ने ही की सुनीत निगम नई दिल्ली, 30 सितम्बर (हि.स.)। चीन के साथ छह दौर की कॉर्प कमांडर स्तरीय वार्ता करने वाले सेना की 14वीं कॉर्प के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह अब देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की कमान संभालेंगे। उनकी जगह नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय से लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके भेजे गए हैं। जनरल मेनन वही अधिकारी हैं जो भारत-चीन के साथ 21 सितम्बर को हुई कॉर्प कमांडर स्तर की बैठक में सेना मुख्यालय के प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए थे। अब सातवें दौर की चीन से वार्ता जनरल मेनन के नेतृत्व में ही होगी। लद्दाख में सेना की 14वीं कॉर्प में बदलाव किया गया है। यहां के जनरल कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में कमान्डेंट के पद पर भेजा गया है। जनरल हरिंदर सिंह ने ही चीन के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद से हुईं छह दौर की सैन्य वार्ताओं में भारत का नेतृत्व किया। इन सभी बैठकों में उन्होंने चीन की ओर से दक्षिण शिंजियांग के मेजर जनरल लिन लिउ से वार्ता की। इन वार्ताओं में तमाम मुद्दों पर चीन की ओर से सहमति भी जताई गई लेकिन जमीनी हालात जस के तस ही रहे। हर बार चीन की तरफ से सहमतियों को जमीन पर उतारने के बजाय धोखा ही मिला। इसकी वजह यह थी कि चीन की सेना बैठकों में कुछ कहती थी और चीन का विदेश मंत्रालय इससे अलग अपनी राय रखता था। यानी चीनी सेना और चीनी विदेश मंत्रालय में तालमेल न होने से ही सीमा पर तनाव लगातार बढ़ा। इसीलिए 21 सितम्बर को हुई छठे दौर की सैन्य वार्ता में चीन पर दबाव बनाने के लिए भारत ने 12 अफसरों की टीम भेजी। इसमें सेना मुख्यालय प्रतिनिधि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल हुए। उन्हें इस वार्ता में इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि इस बार चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे चीनी जनरल ली शी झोंग और भारतीय जनरल मेनन के बीच अच्छा तालमेल माना जाता है। दोनों सैन्य अधिकारियों ने नवम्बर 2018 में अरुणाचल प्रदेश-तिब्बत सीमा पर भारत और चीन के बीच बुम ला में पहली मेजर जनरल स्तर की वार्ता का नेतृत्व किया था। उस समय वह असम मुख्यालय वाले 71 इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) थे। तभी से जनरल पीजीके मेनन चीनियों से निपटने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। जनरल मेनन को इस बैठक का हिस्सा इसलिए भी बनाया गया था क्योंकि उन्हें 01 अक्टूबर से 14वीं कॉर्प की कमान दी जानी थी। वह सीधे सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को रिपोर्ट करते हैं। इस वार्ता में भारत और चीन अतिरिक्त सैनिकों को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आगे के क्षेत्रों में नहीं भेजने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों के बीच जल्द ही सातवीं कॉर्पकमांडर बैठक स्तरीय बैठक होने वाली है जिसमें भारत का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ही करेंगे। सेना की यह 14वीं कॉर्प रणनीतिक रूप से भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी कॉर्प की जिम्मेदारी चीन और पाकिस्तान की सीमा पर मोर्चा संभालने की है। इसके अलावा सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करने, सियाचिन को आवश्यक आपूर्ति करने और कारगिल-लेह में सैन्य तैनाती इसी कॉर्प के जरिये की जाती है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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