राहत साहब की शायरी एक लोकतांत्रिक पैगाम है; जिसमें वह कहते हैं- ‘सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’
राहत साहब की शायरी एक लोकतांत्रिक पैगाम है; जिसमें वह कहते हैं- ‘सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’

राहत साहब की शायरी एक लोकतांत्रिक पैगाम है; जिसमें वह कहते हैं- ‘सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’

मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी की याद में मंजुल पब्लिशिंग हाउस की ओर से आयोजित विशेष कार्यक्रम ‘एक शाम राहत के नाम’ में रविवार को हिंदी के अग्रणी कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि राहत साहब रहम के शायर थे। उनके इंतकाल से मुशायरे का मेरा आधा हिस्सा दुनिया क्लिक »-newsindialive.in

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