राष्ट्रीय शिक्षा नीति डॉ. राधा कृष्णन के विचारों पर केन्द्रित: बहादुर सिंह बिष्ट
राष्ट्रीय शिक्षा नीति डॉ. राधा कृष्णन के विचारों पर केन्द्रित: बहादुर सिंह बिष्ट

राष्ट्रीय शिक्षा नीति डॉ. राधा कृष्णन के विचारों पर केन्द्रित: बहादुर सिंह बिष्ट

राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर और सशक्त भारत निर्माण के लिए: प्रो. कमल किशोर पांडे रुद्रपुर/देहरादून, 05 सितम्बर (हि.स.)। "राष्ट्रीय शिक्षा नीति महान चिंतक और देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के विचारों पर केंद्रित समग्र नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की अपेक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप है। इसमें सर्व समावेशी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, जिसमें सृजन धर्मी, ज्ञान सम्पन्न, आत्म निर्भर व्यक्तित्व निर्माण के द्वारा देश को भव्यता प्रदान करने की क्षमता है। शिक्षक ही परिवर्तन के माध्यम से देश को पुनः विश्वगुरु बनाएंगे। शिक्षक स्वप्रेरित होकर राष्ट्रपुनर्निर्माण में सहभागी बनें।" उपरोक्त बातें दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित वर्चुअल संगोष्ठी ‘डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ में मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि उत्तराखंड उच्च शिक्षा उन्नयन समिति के उपाध्यक्ष एवं दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री डॉ बहादुर सिंह बिष्ट ने कहीं। उन्होंने कहा कि हम शिक्षा ऐसी चाहतें हैं, जो भविष्य के संभावित परिवर्तनों को परिलक्षित कर सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन के विचारों को आत्मसात कर भारत केन्द्रित शिक्षा को धरातल पर उतारने का प्रयास है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. कमल किशोर पांडे ने कहा कि शिक्षक को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होना होगा। श्रेष्ठ परम्पराओं के वाहक शिक्षक ही होते हैं । डॉ, राधा कृष्णन शिक्षा व्यवस्था को मूल्यपरक बनाना चाहते थे। वे ऐसी शिक्षा चाहते थे, जो भारतीय भाषाओं, कला, संस्कृति, लोक विज्ञान, चिकित्सा, संगीत, शिल्प आदि के प्रति अनुराग पैदा करे। निकट भविष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन अपेक्षाओं को पूरा करेगी। शिक्षा मात्र सूचना मूलक न होकर ज्ञान धर्मी होगी। शिक्षकों को अद्यतन ज्ञान तथा नवाचार के लिए प्रेरित करने के लिए यह नीति है। हम सभी भारतीय ज्ञान-विज्ञान को प्रखरता से उद्घोषित करें । विषय प्रवर्तन कराते हुए आन्तरिक गुणवत्ता विनिश्चयन प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो. डीकेपी चौधरी ने डॉ. राधाकृष्णन के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ऐसे प्रावधान हैं, जिनसे गुणवत्ता पूर्ण, सर्वसुलभ, न्याय संगत, समतामूलक, रोजगार परक, युवा कौशल पोषी शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी। पाठ्यक्रम राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों प्रकार की अपेक्षाओं के अनुरूप होंगे। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा नियामक बोर्ड का गठन होगा, जो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की समग्र व्यवस्था करेगा। प्रॉक्टर प्रो. आरके पाण्डेय ने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों के आदर्श होतें हैं, जो मानवीय मूल्यों का बीजारोपण कर सुयोग्य नागरिक निर्माण करते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर –सशक्त भारत निर्माण की राह है । हम सभी अपनी प्रतिभा और क्षमता सकारात्मक दिशा में लगायें तभी राधाकृष्णन के सपनों भारत आकार लेगा । संगोष्ठी का का सञ्चालन करते हुए दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र के सहायक आचार्य डॉ. हरनाम सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से अंकों की होड़ से मुक्ति मिलेगी। रटने की जगह समझने की शिक्षा होगी, जिससे क्रिटिकल थिंकिंग कांसेप्चुअल क्रिएटिविटी बढ़ेगी। छह साल से ही वोकेशनल पर फोकस होगा। 12 वर्ष तक कोई दो स्किल सीखना ही होगा। वोकेशनल कोर्स अकैडमिक कोर्स में ही समाहित होगा। मल्टीडिसीप्लिनरी स्कूल-कॉलेज होंगे, जिसमें छात्र अपने विषय चुन सकते हैं। मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिट सिस्टम, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगा। यह शिक्षा नीति भारत को वास्तविक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगी। दीन दयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र के विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि पंडित मदनमोहन मालवीय के अनुरोध पर सर्वपल्ली राधा कृष्णन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे और बाद में राष्ट्रपति चुने गए। सर्वोच्च पद पर पहुंचकर भी उन्होंने आदर्श शिक्षक की भूमिका का निर्वाह किया। वर्चुअल संगोष्ठी को प्रो दिनेश शर्मा, प्रो शंभू दत्त पाण्डेय, डॉ शशि बाला वर्मा और डॉ मनीष तिवारी ने भी अपने विचार रखे। हिन्दुस्थान समाचार/दधिबल-hindusthansamachar.in

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