राष्ट्रपति के भाषण संग्रहों का रक्षामंत्री ने किया विमोचन
-‘लोकतन्त्र के स्वर’ में दिखती है राष्ट्रपति के कृतित्व, व्यक्तित्व और जीवन मूल्यों की झलक नई दिल्ली, 19 नवम्बर (हि.स.)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को साउथ ब्लॉक में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के प्रमुख भाषणों के संग्रह ‘लोकतन्त्र के स्वर’ तथा ‘दि रिपब्लिक एथिक' का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महोदय भारत की सेनाओं के सुप्रीम कमांडर भी हैं। वे सेना के जवानों से मिलने सियाचिन जैसे इलाक़ों में भी गए हैं जो सेनाओं के प्रति उनके मन में स्नेह और सम्मान का प्रतीक है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत माता से अपनी भावना को जोड़े रखने का सराहनीय कार्य करने वाले प्रवासी भारतीयों से भी राष्ट्रपति मिलते रहे हैं। भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से प्रवासियों का जुड़ाव बनाए रखने के लिए वे उन्हें अपने संबोधनों से प्रेरित भी करते रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि मेरी दृष्टि में राष्ट्रपति के भाषणों का यह संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर’ उनके कृतित्व, व्यक्तित्व और जीवन मूल्यों का शब्द-चित्र प्रस्तुत करता है। जब किसी व्यक्ति की कथनी और करनी में एकरूपता होती है तो उसके विचारों और अभिव्यक्तियों में सहजता, प्रामाणिकता और नैतिक बल स्पष्ट दिखाई देता है। इन भाषणों में संवेदनशील व आदर्शवादी जनसेवक, एक न्यायप्रिय व्यक्ति तथा नैतिकता पर आधारित जीवन जीने वाले व्यक्ति की प्राथमिकताएं दिखाई देती हैं। वे जन सेवा को परम धर्म मानते हैं, यह उनके अनेक भाषणों में स्पष्ट होता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके सम्बोधन इसलिए अधिक असर डालते हैं क्योंकि वे जीवन मूल्य उनके निजी जीवन का हिस्सा हैं। राष्ट्रपति जी अपने विद्यालय के एक समारोह में भाग लेने कानपुर गए थे। उस समारोह में वे मंच से नीचे उतरकर अपने अध्यापकों के पास गए, उन्हें सम्मानित किया तथा उन सभी का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया। उनके भाषणों में भगवान बुद्ध, संत कबीर, महात्मा गांधी, बाबा साहब आंबेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय का उल्लेख बार-बार मिलता है। अंत्योदय के प्रति उनकी निष्ठा हमेशा रही है। राजनाथ सिंह ने दोहराया कि राष्ट्रपति कोविंद के भाषणों में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का संदर्भ भी बार-बार आता है। सार्वजनिक जीवन में शुचिता के उदात्त आदर्शों का वे प्राय: उल्लेख करते हैं। राष्ट्रपति जी के बड़े मन की झलक उनके भाषाओं में मिलती है। उनके सम्बोधनों में ‘वसुधेव कुटुम्बकम’ और ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ के आदर्श का उल्लेख मिलता है। उन्होंने राष्ट्रपति जन-सामान्य को न्याय सुलभ कराने के लिए अनवरत प्रयास किए थे। न्याय-व्यवस्था में सुधार के उनके सुझावों के कारण अब सुप्रीम कोर्ट तथा अनेक हाई कोर्ट में हिन्दी व स्थानीय भाषाओं में भी निर्णयों की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत-hindusthansamachar.in