यमुनोत्री पैदल मार्ग पर चट्टान खिसकने से आवाजाही बंद, खुलने में लगेंगे तीन-चार दिन
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर चट्टान खिसकने से आवाजाही बंद, खुलने में लगेंगे तीन-चार दिन

यमुनोत्री पैदल मार्ग पर चट्टान खिसकने से आवाजाही बंद, खुलने में लगेंगे तीन-चार दिन

- रास्ते में फंसे 17 लोगों को एसडीआरएफ ने सकुशल निकाला उत्तरकाशी, 12 सितम्बर (हि.स.)। यमुनोत्री पैदल मार्ग पर शुक्रवार को भिंडियालीगाड़ गदेरे के निकट चट्टान खिसकने से यमुनोत्री धाम का पैदल मार्ग पूरी तरह से बंद हो गया है। किसी तरह एसडीआरएफ की टीम ने वहां फंसे श्रद्धालुओं को निकाल दिया है। रास्ते मे कुल 17 व्यक्ति फंसे थे, जिनको सकुशल निकाल दिया गया। शनिवार को यमुनोत्री क्षेत्र के विधायक केदार सिंह रावत ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर यमुनोत्री तीर्थ धाम की विभिन्न समस्याओं से अवगत करवाया है। इधर बड़कोट उपजिलाधिकारी चतर सिंह चौहान ने कहा कि लोक निर्माण विभाग बड़कोट के अधिशासी अभियंता मौके पर गए हैं। जिस तरह भूस्खलन से रास्ता बंद हुआ है, उसे खोलने में तीन से चार दिन का समय लगना तय है। जो यात्री व तीर्थ पुरोहित फंसे हुए थे, उन्हें सुरक्षित निकाल दिया गया है। अब मंदिर में केवल कुछ पुजारी व कर्मचारी हैं। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि यमुनोत्री धाम के पैदल रास्ते को जल्द खोला जाए तथा वैकल्पिक मार्ग भी बनाया जाए। ताकि तीर्थ पुरोहित यमुनोत्री धाम में जा सकें। साथ ही यमुनोत्री धाम में रहने वाले कर्मचारियों के लिए राशन आदि पहुंचा सकें। उल्लेखनीय है कि यमुनोत्री धाम में जानकी चट्टी से लेकर यमुनोत्री तक 5 किलोमीटर का क्षेत्र भूस्खलन के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। यही वजह है कि यहां कई बार भूस्खलन होने से लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। जानकीचट्टी से यमुनोत्री 5 किलोमीटर कठोर चट्टानों से होते हुए यमुनोत्री धाम के लिए पैदल मार्ग हैं यहां मंदिर के पास वर्ष 2003 में कालिंदी पर्वत से चट्टान खिसकी थी, जिससे मंदिर के पास 7 लोगों की मौत हो गई थी। उसके आसपास मंदिर का काफी नुकसान हुआ था। वर्ष 2014 में यमुनोत्री मंदिर की के पास यमुना नदी में भारी भूस्खलन होने से मंदिर को भी खतरा पैदा हुआ था। यमुनोत्री पैदल मार्ग पर हुए भूस्खलन में बाल-बाल बचा साधु शुक्रवार दोपहर को चटक धूप के बीच यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर बडेली गाड़ के समीप पहाड़ी से अचानक भारी भूस्खलन हो गया. भूस्खलन के कारण नीचे बनी साधु की कुटिया पर विशालकाय बोल्डर गिरने लगे, जिससे कुटिया क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि उस समय साधु कुटिया में नहीं थे। नहीं तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता था। बडेली गाड़ में पहाड़ी से हुए भूस्खलन के कारण यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग का 20 मीटर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इस कारण यमुनोत्री धाम का सम्पर्क जानकीचट्टी से कट गया है। हिन्दुस्थान समाचार/चिरंजीव सेमवाल-hindusthansamachar.in

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