मोरेटोरियम मामले पर अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को
मोरेटोरियम मामले पर अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को

मोरेटोरियम मामले पर अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को

नई दिल्ली, 28 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई ईएमआई पर ब्याज न लेने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी। सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस बारे में निर्णय प्रक्रिया अंतिम दौर में है। इसलिए इस मामले पर फैसले के लिए थोड़ा समय दिया जाए। उसके बाद कोर्ट ने आज सुनवाई टाल दी। पिछले 10 सितंबर को सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में दो से तीन दौर की बैठकें हुई हैं। जल्द ही इसपर फैसला लिया जाएगा। तब याचिककर्ता के वकील ने कहा था कि हमें खुशी है कि सरकार कारपोरेट लोन का पुनर्गठन करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि आम लोग पीड़ित हैं। कोर्ट ने पिछले 3 सितंबर लोन के ईएमआई का भुगतान न होने के आधार पर किसी भी खाते को एनपीए घोषित नहीं करने का अंतरिम आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा था कि जब मोरेटोरियम योजना लाई गई तो मकसद यह था कि व्यापारी उपलब्ध पूंजी का ज़रूरी इस्तेमाल कर सकें। उन पर बैंक की किश्त का बोझ न हो। मकसद यह नहीं था कि ब्याज माफ कर दिया जाएगा। कोरोना के हालात का हर सेक्टर पर अलग-अलग असर पड़ा है। फार्मा, आईटी जैसे सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन भी किया है। तब कोर्ट ने पूछा था कि हमारे सामने सवाल यह रखा गया है कि आपदा राहत कानून के तहत क्या सरकार कुछ करेगी। हर सेक्टर को स्थिति के मुताबिक राहत दी जाएगी। सुनवाई के दौरान बैंकों के समूह के वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि हर सेक्टर के लिए भुगतान का अलग प्लान बनाया जाएगा। उन्हें नया लोन भी दिया जाएगा। हमें लोन लेने वाले सामान्य लोगों के लिए भी सोचना है। उनकी समस्या उद्योग से अलग है। तब कोर्ट ने कहा था कि एक तरफ मोरेटोरियम, दूसरी तरफ ब्याज पर ब्याज। दोनों साथ में नहीं चल सकते। तब मेहता ने कहा था कि सर्कुलर कहता है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग उसी की होगी, जिसका एकाउंट फरवरी तक डिफॉल्ट में नहीं था। तब कोर्ट ने पूछा था कि यानि जिसने पहले डिफॉल्ट किया था, फिर लॉकडाउन में और ज़्यादा दिक्कत में आ गया। उसको कोई राहत नहीं दी जाएगी। तब साल्वे ने कहा कि था जिन्होंने पहले भी डिफॉल्ट किया था, वैसे लोग बैंक से अलग से राहत मांग सकते हैं। उन्हें कोरोना वाली योजना का लाभ नहीं मिलेगा। तब कोर्ट ने कहा था कि सब कुछ बैंक पर नहीं छोड़ा जा सकता। हरीश साल्वे ने कहा कि रिजर्व बैंक एक कमेटी बनाए, जिसमें बैंकों के प्रतिनिधि हों। याचिकाकर्ता के वकील राजीव दत्ता ने कहा था कि जिन्होंने बैंक के कहने पर सुविधा का लाभ लिया। उनसे अब ब्याज पर ब्याज नहीं वसूला जा सकता। दूसरे देशों में नागरिकों की मदद की जा रही है। यहां बैंक कोरोना से फायदा कमाना चाहते हैं। रिजर्व बैंक भी इसे शह दे रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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