मेरठ में गुड़ बनाने वाली इकाइयों में प्लास्टिक को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की जांच के आदेश
मेरठ में गुड़ बनाने वाली इकाइयों में प्लास्टिक को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की जांच के आदेश

मेरठ में गुड़ बनाने वाली इकाइयों में प्लास्टिक को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की जांच के आदेश

नई दिल्ली, 13 नवम्बर (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मेरठ के खरदौनी गांव में चल रहे गन्ना से गुड़ बनाने वाली इकाइयों में ईंधन के रूप में प्लास्टिक और पालीथीन के इस्तेमाल की शिकायतों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मेरठ के जिलाधिकारी की संयुक्त कमेटी का गठन किया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया। याचिका जमील ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि मेरठ के ग्राम खरदौनी में गन्ना से गुड़ बनाने वाली इकाइयों में ईंधन के रूप में पॉलीथिन, प्लास्टिक और रबड़ इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है। इससे वायु पर्यावरण की स्थिति काफी खराब हो जाती है, जिससे आसपास के गांवों के लोगों को कैंसर, टीबी, दमा इत्यादि बीमारियां हो रही हैं। इसके पहले भी शिकायत की गई थी कि इन इकाइयों की चिमनी की ऊंचाई दस मीटर से कम नहीं होनी चाहिए और ये इकाइयां रिहायशी इलाकों, स्कूल और अस्पतालों से कम से कम पांच सौ मीटर की दूरी पर होनी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि इन इकाइयों में निम्न स्तर के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है और दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है। याचिका में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति को लेकर कुछ फोटो और मीडिया की रिपोर्ट को भी संलग्न किया गया था। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि 2017 में अनिल कुमार बनाम केंद्र सरकार के मामले में उसके आदेश के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गुड़ बनानेवाली इकाइयों में ईंधन के इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश जारी किया था। एनजीटी ने मेरठ के जिलाधिकारी और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संयुक्त रूप से एक कमेटी का गठन किया। एनजीटी ने इस कमेटी को निर्देश दिया कि वो कानून के मुताबिक कार्रवाई करे और पर्यावरण कानून का उल्लंघन करनेवाली इकाइयों से जुर्माने की राशि वसूलें। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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