मुसलमानों के लिए निराशाजनक रहा यूपीएससी का परिणाम
मुसलमानों के लिए निराशाजनक रहा यूपीएससी का परिणाम

मुसलमानों के लिए निराशाजनक रहा यूपीएससी का परिणाम

- इस बार सिर्फ एक मुस्लिम ही बन पाएगा आईएएस एम ओवैस नई दिल्ली, 04 अगस्त (हि.स.)। संघ लोक सेवा आयोग के जरिए आज जारी किया गया परिणाम अल्पसंख्यक युवाओं में गहरी निराशा लेकर आया है। जारी किए गए परिणाम सिविल सर्विस 2019 के मुताबिक इस बार सिर्फ एक मुसलमान ही आईएएस बन पाएगा। हालांकि कुल चयनित 829 में से 43 मुसलमान इस वर्ष चयनित हुए हैं मगर बेहतर रैंक के अभाव में ऐसा नही हो पायेगा। टॉप 20 में एक भी मुसलमान नहीं आया है। इससे भी ज्यादा निराशाजनक यह है कि टॉप 100 में सिर्फ एक मुसलमान चुना गया है। एक और निराशाजनक बात यह है कि उत्तर भारत से भी मुस्लिम युवाओं का प्रतिनिधित्व बेहद कम हो गया है। चयनित युवाओं में आधे से अधिक दक्षिण भारत के है। यूपीएससी 2019 के घोषित परिणाम बिहार के प्रदीप सिंह ने टॉप किया है जबकि जतिन किशोर दूसरे और प्रतिभा वर्मा तीसरे स्थान पर रही है। यह परिणाम मुसलमानों के लिए 2018 और 2017 की तुलना में बेहद निराशाजनक है। 2018 में जुनैद आल इंडिया तीसरे स्थान पर रहे थे। परिणाम -2017 में साद मियां खान 25 वी रेंक पर आएं थे। उस समय 52 मुस्लिम युवकों ने कामयाबी हासिल की थी। हालांकि 2018 में 41 मुस्लिम बच्चों का चयन हुआ था। मगर इस बार के रैंक में भारी गिरावट आई है। अब यह परिणाम 2019 यह मेंस का परिणाम है। इसके बाद इंटरवियू भी होता है मगर कोरोना काल के चलते यूपीएससी के कुछ इंटरवियू स्थगित कर दिए गए थे। देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक बिरादरी मुस्लिमो में इस बार केरल के त्रिवनेंद्रम की एक लड़की सफ़ना नजरुदीन टॉपर हैं और उनकी ऑल इंडिया रैंक 45वीं है। सिर्फ यह ही आईएएस बनने की योग्यता पार कर सकती है। इस बार टॉप करने वाली सफ़ना नजरुदीन की कामयाबी लड़कियों के लिए बेहद अच्छी ख़बर है। मुस्लिमो के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे कुछ मुस्लिम संगठनों की आपसी खींचतान शामिल हैं। हालांकि देश में मुसलमान आईएएस की संख्या बढ़ाने के लिए मुफ्त कोचिंग सेंटर भी चलाए जा रहे हैं। मगर यह महज खानापूर्ति करने में मसरुफ़ रहते हैं। इसके अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया व केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत आने वाली हज कमेटी आफ इंडिया भी मुफ्त कोचिंग सेंटर चला रहे हैं। मगर यहां भी कुछ खास नहीं हो पा रहा है। हर साल परिणाम आने केे बाद सभी संगठन अपनी पीठ थपथपा कर पास आउट करने वाले मुस्लिम बच्चों को अपने सेंटर का छात्र बताने की सारी हदें पार करने से भी शरमाते नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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