मनुष्य के समग्र विकास का साधन है शिक्षा: अनिरुद्ध देशपांडे
मनुष्य के समग्र विकास का साधन है शिक्षा: अनिरुद्ध देशपांडे

मनुष्य के समग्र विकास का साधन है शिक्षा: अनिरुद्ध देशपांडे

रतन सिंह नई दिल्ली, 29 अगस्त (हि.स.)।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरुद्ध देशपांडे ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के मूलविचारों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। शिक्षा केवल आजीविका का साधन नहीं बल्कि यह मनुष्य के समग्र विकास का साधन है। इस शिक्षा नीति को हम उपनिवेशवाद से मुक्त कह सकते हैं। देशपांडे शनिवार शाम को "नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उच्च : विश्वगुरु के पथ पर भारत” विषय पर वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार का आयोजन नोएडा स्थित प्रेरणा मीडिया संस्थान ने किया था। वेबिनार की अध्यक्षता लाजपत राय कॉलेज साहिबाबाद (उ.प्र.) के प्राचार्य प्रो संजयदत्त कौशिक ने किया। देशपांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति आनेवाले परिवर्तनों को ध्यान में रख कर तैयार की गयी है। नई शिक्षा नीति में पूर्ण समाज की कल्पना है। विद्यार्थी को देश का चिंतन करने वाला समर्थ व्यक्ति बनाएगी। यह बहुशाखीय शिक्षा प्रणाली है, जिससे छात्र एक विशेष विषय में दक्षता के साथ-साथ अन्य विषय भी ले सकेगा। यह उदारवादी है। जिस प्रकार हज़ारों वर्ष पहले हमारे मनीषियों, आचार्यों ने 16 कला ,14 कला के आधार पर हमें विश्वगुरु बनाया उसी प्रकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें एकबार फिर विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने की ओर अग्रसर करेगी। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा में देश के सांस्कृतिक मूल्य न हों तो ऐसी शिक्षा मस्तिष्क का तो परिमार्जन कर सकती है, लेकिन हृदय का नहीं। हृदय का परिमार्जन शिक्षा को देश के सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जोड़ने से ही होगा। इस शिक्षा नीति में व्यक्ति के सर्वांगीण विकास की कल्पना की गयी है। नई शिक्षा नीति में इंटरनल डिसिप्लिनरी रिसर्च को प्रमुख स्थान दिया गया है। इसमें नैतिकता और मानव जीवन मूल्यों का समावेश किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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