भारत को ज्ञान शक्ति के रूप में उभरने में मदद करेगा आईआईटी का शैक्षिक वातावरण : निशंक
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने देशभर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के शैक्षिक माहौल की सराहना करते हुए कहा कि संस्थानों का अनुकूल एवं संतुलित शैक्षिक वातावरण और प्रणाली भारत को ज्ञान शक्ति के रूप में उभारने में मदद करेगी। निशंक ने गुरुवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से आईआईटी रोपड़ के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा कि देश भर के आईआईटी संस्थान अपने प्रयासों द्वारा देश को सुदृढ़ बनाने में यथोचित योगदान दे रहे हैं। उन्होनें कहा कि आईआईटी संस्थानों को और अधिक सशक्त करने के लिए स्वायत्तता से कार्य करना होगा। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो सरित कुमार दास, सभी डीन, सभी विभागों के प्रमुख, मुख्य वार्डन, रजिस्ट्रार एवं शिक्षक भी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे। तीन अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम, 108 स्नातक छात्रों एवं चार संकाय सदस्यों से 2008 में शुरू हुए आईआईटी रोपड़ में वर्तमान में 10 अभियांत्रिकी विभाग, 2324 छात्र और 170 संकाय सदस्य हैं। निशंक ने जिस परिसर का उद्घाटन किया वो 500 एकड़ में बना है और इसका निर्माण आईआईटी रोपड़ ने ही किया है। डॉ निशंक ने आईआईटी रोपड़ की वैश्विक एवं घरेलु रैंकिंग में सुधार की प्रशंसा करते हुए संस्थान द्वारा कोरोना संकट के समय में किये गए कार्यों को भी सराहा। उन्होनें कहा, यह संस्थान हमेशा से इस बात के लिए प्रयासरत रहा है कि यहां विश्व स्तरीय संकाय की नियुक्ति की जाए, अनुसंधान आधारित सहभागिता निर्माण किया जाए तथा अनुसंधान एवं विकास के लिए परिसर में समग्र वातावरण निर्मित कर वर्तमान पीढ़ि के आकांक्षाओं को समझा जाए। कोरोना संकट काल में डीआईवाई मास्क के निर्माण से लेकर यूवीजीई प्रौद्योगिकी आधारित यूव्हीसेफ जो दुबई आईपीएल में खिलाडियों के कक्ष कों स्टरलाइज़ करने के लिए इस्तेमाल होता है बनाया जिनसे कोरोना से जंग में इस संस्थान ने अपना योगदान दिया है। संकट के दिनों में भारतीय प्रौद्योगिकी क्रांति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर और उसे समाज के प्रति समर्पित कर “ज्ञान के प्रति योगदान, समाज के प्रति योगदान, राष्ट्र के प्रति योगदान” आईआईटी रोपड़ ने शिक्षा मंत्रालय के लक्ष्य का पूर्ण रुप से अनुसरण किया है। निशंक ने कहा कि अगर हमें ज्ञान की सर्वोच्च शक्ति बनना है तो विशेषतः वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय ज्ञान की आकृष्टता के साथ देश के प्रत्येक क्षेत्र को व्याप्त होना होगा। भारतवर्ष को ज्ञान समाज के रुप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में हम आईआईटी संस्थानों को भागीदार के साथ सहयोग की अपेक्षा करते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/सुनीत-hindusthansamachar.in